धर्म-धर्म से लड़े तो , अघ से लड़ये कौन।
सज्जन सुरक्षा कस हो, जब राजा ही मौन।।
कण-कण मुहे कट्टरता , यूं हुई है प्रवेश ।
कैसे सुरक्षित रहईं, सज्जन और स्वदेश।।
अल्ला ईश्वर एक है, भिन्न-भिन्न है नाम।
कोई मद को बियर तो ,कोई कहता जाम।।
बनो वीर हामिद बनो, बनो नहीं जयचंद।
जिसमें देशभक्ति नहीं, उससे रब भी रंज।।
- राज कलयुगी प्रजापति
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