मज़ा जो है छुपाने में कहाँ वह है दिखाने में
इस राज को कुछ ने ही समझा है जमाने में
छुप छुप कर कृष्ण ने माखन चुराया था
आनंद की लहरों में गोकुल को डुबाया था
छुप कर ही तो वे रास की लीला रचाते थे
आनंद देते थे सबको कष्टों को मिटाते थे
जिसे छुपाना आ गया वो पा गया जग को
विशिष्ट कौशल से अपने भा गया जग को
-कुँवर संदीप सिंह
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