मतवाला मौजी बनके आया,
इस बरस का प्यासा सावन ,
कुछ आरजू लेकर वो आया,
कुछ मैला होकर वो आया।
कुछ कल की यादों के साथ,
कुछ नई साथ ले जाने आया,
कुछ सुकून की बूंदे बनकर,
कुछ तूफा के वर्षाव सा आया।
मेरे छत पर टप टप बरसता,
मेरे संग नए राग गाने आया,
कुछ अपनी बनी बनाई पुरानी,
धुन नए से सुनाने व्याकुल हुआ।
कुछ ओस की बूंदों सा चमकता,
कुछ हरियाली बनकर खिलता,
कुछ कोयल सा मधुर चहकता,
कुछ बेवजह ही बच्चे सा रूठता।
इस साल का सावन आया तो,
पुराना सारा धुलने वो है आया,
नई आशा की किरण आसमा में,
इंद्रधनुष के रंगों में बिखरने आया।
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2 वर्ष पहले
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