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ऐ मेरे खामोश जिंदगी कुछ तो इशारे कर

                
                                                         
                            ऐ मेरे खामोश जिंदगी कुछ तो इशारे कर,
                                                                 
                            
टूटे हुए ख्वाबों को फिर से सहारे कर।

सहरा-ए-दिल में बस गई तन्हाईयों की धूल,
तू कोई सब्जा जगाकर रूह को प्यारे कर।

हर मोड़ पे ठहरे हुए हैं कारवां के साए,
चल पड़, हवाओं की तरह राह उजियारे कर।

बिखरी हुई यादों को समेटा नहीं जाता,
उनको नए जज्बात के रंग से निखारे कर।

तेरी खामोशी से दिल बेवजह डरता है,
आवाज-ए-मोहब्बत से ये जख़्म गुजारे कर।

रौशनी बुझती न जाए गम के अंधेरों में,
तू चाँद-सा बनकर मेरी रातें उजाले कर।

जिंदगी तेरी किताब अधूरी-सी लग रही,
हर सपहे पे मोहब्बत के नए इबारत उतारे कर।

दुनिया के सितम से कहीं घबराए न दिल मेरा,
सबर-ओ-दुआ के सहारे खुद को संभाले कर।

रिश्तों की महक से भरी हो तेरी राहें,
तू नफरत के काँटों को मिटा, फूल उगाए कर।

 
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9 घंटे पहले

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