वो जैसी भी है, तुमसे तो अच्छी है।
मुश्किलें जब भी आईं,
वो डटकर खड़ी है।
जब भी किसी ने उसको दुत्कारा,
वो कमजोर तो पड़ी है,
पर गिरकर हर बार संभली है।
साथ देने वालों ने उसको छोड़ा,
तो वो अकेली ही चल पड़ी है।
उसमें बेशक कई कमियाँ हैं,
पर उसने अपनी हर गलती स्वीकार करी है।
वो जार-जार रोई है,
पर उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रही है।
- शिवानी यादव
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