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Hindi Diwas 2025: देश के बहुलांश द्वारा बोले जाने वाली भाषा के विस्तार के लिए सामूहिक प्रयास ज़रूरी

साहित्य
                
                                                         
                            किसी भी नए काम के शुरुआत के लिए अमृत काल सबसे सही समय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अमृत काल वही समय है जब बड़ी से बड़ी उपलब्धि को भी हासिल किया जा सकता है ।  क्या हमने हिंदी के क्षेत्र में भी इतना कुछ प्राप्त कर लिया है कि हम महोत्सव मना सकें ? क्या हम उस अमृत काल में पहुँच गए हैं जहां से हिन्दी उत्थान के लिए उठाए जा रहे प्रत्येक कदम आवश्यक रूप से शुभ और सफल ही होंगे ?
                                                                 
                            

आज़ादी के आंदोलन में सभी भारतीयों को एक सूत्र  में बाँधने वाली तमाम कारकों में हिंदुस्तानी भाषा एक प्रमुख कारक  थी । तमाम अहिंदी क्षेत्र के जन नायकों ने हिंदी को राष्ट्रीय एकता के लिए ज़रूरी बताया । महात्मा गांधी , लोकमान्य तिलक , राजागोपाल चारी , काका कालेलकर ,  केशव चंद्र सेन आदि प्रमुख नाम है । काका कालेलकर के शब्दों में , ‘यदि भारत में प्रजा का राज चलाना है , तो वहाँ की जनता की भाषा में चलाना होगा ।’ लेकिन आज़ादी के बाद की जनता की भाषा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। आगे पढ़ें

आज़ादी के बाद हिन्दी  

19 घंटे पहले

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