हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है - धरणी जिसका अर्थ है - 1. धरती 2. सेमल 3. नाड़ी। कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
जय जय भारत, जय आभा रत
जय जन राष्ट्र विधाता!
गौरव भाल हिमाचल उज्ज्वल
हृदय हार गंगा जल,
विंध्य श्रोणिवत्, सिंधु चरण नत
महिमा शतमुख गाता!
आम्र बौर, तालीवन, मलय पवन, पिक कूजन
जन मन नित हर्षाता!
अरुणोदय प्रभ, ज्योति छत्र नभ
ऊपर नील सुहाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे!
हरे खेत लहरे निर्मल सरिता सर
जीवन शोभा से जन धरणी उर्वर
कोटि हस्त नित विश्व कर्म हित तत्पर
बढ़ते अगणित चरण अडिग ध्रुव पथ पर!
प्रथम सभ्यता संस्कृति ज्ञाता, साम ध्वनित गुण गाथा,
जय नव मानवता निर्माता
सत्य अहिंसा दाता!
सुनो, प्रयाण के विषाण तूरि भेरि बज उठे,
घनन, पणव पटह प्रचंड घोष कर गरज उठे,
विशाल सत्य सैन्य, वीर युद्ध वेश सज जुटे,
झनन, कराल अस्त्र-शस्त्र युक्त क्रुद्ध भुज उठे!
शक्ति स्वरूप, अमित बलधारी, वंदित भारतमाता,
धर्म चक्र रक्षित तिरंग ध्वज उठ अविजित फहराता!
मंगल वादन जन मन स्पंदन
देव द्वार भू प्रांगण,
मुक्त कंठ करते जय कीर्तन
निर्भय मस्तक वंदन!
जय जाग्रत, ज्ञानोन्नत, जय शिव सुंदर शाश्वत,
जय जन भव भय त्राता!
धरा स्वर्गवत्, श्रद्धा से नत,
जन मत शीष उठाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे!
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