हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है वरण जिसका अर्थ है - 1. स्वीकार 2. ग्रहण करने योग्य। कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
दुर्गम पथ तेरे हों
थके चरण मेरे हों
यात्रा में साथी हों हर पल असफलताएँ
मुझ पर गिरती जाएँ मेरी ही सीमाएँ
सुखद दृश्य तेरे हों
भरे नयन मेरे हों,
दुर्गम पथ तेरे हों
थके चरण मेरे हों।
अपने साहस को भी मैं कंधों पर लादे
चलता जाऊँ जब तक तू यह तन पिघला दे
अमर सृजन तेरे हों
मृत्यु वरण मेरे हों,
दुर्गम पथ तेरे हों
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