बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है
- मिर्ज़ा ग़ालिब
क्या ये कम है कि आख़िरी बोसा
उस जबीं पर रक़म किया गया है
- तहज़ीब हाफ़ी
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