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जिगर मुरादाबादी की ग़ज़ल: इश्क़ में ला-जवाब हैं हम लोग

उर्दू अदब
                
                                                         
                            इश्क़ में ला-जवाब हैं हम लोग 
                                                                 
                            
माहताब आफ़्ताब हैं हम लोग 

गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोग 
ये न समझो ख़राब हैं हम लोग 

शाम से आ गए जो पीने पर 
सुब्ह तक आफ़्ताब हैं हम लोग 

हम को दावा-ए-इश्क़-बाज़ी है 
मुस्तहिक़्क़-ए-अज़ाब हैं हम लोग 

नाज़ करती है ख़ाना-वीरानी 
ऐसे ख़ाना-ख़राब हैं हम लोग 

हम नहीं जानते ख़िज़ाँ क्या है 
कुश्तगान-ए-शबाब हैं हम लोग  आगे पढ़ें

2 वर्ष पहले

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