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औरतों के लिए: देश के मौजूदा हालात और शायरों की कलम औरतों के हक़ में

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ज़माने अब तिरे मद्द-ए-मुक़ाबिल
कोई कमज़ोर सी औरत नहीं है
- फरीहा नक़वी 


औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ
इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ
- फ़रहत ज़ाहिद

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एक वर्ष पहले

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