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Social Media Poetry: न वफ़ा रही न सनम रहे न वो दोस्तों के करम रहे

सोशल मीडिया
                
                                                         
                            न वफ़ा रही
                                                                 
                            
न सनम रहे 
न वो दोस्तों के
करम रहे 
न रही कहीं वो
दिली तड़प
बस खुद से खुद की
बची झड़प 
तू बेवज़ह
तना न कर
जो है नही बना न कर
जैसे भी गुजरे
गुजार दे
है इसी ख्याल में
हर बशर 
मत सोच क्या
जो न कर सका
क्या हुआ 
जो खुद को न भर सका
दमे ज़िंदगी
रमे -ज़िन्दगी 
तू ख़याले-फुक्रो-गुना न कर 
हर शख्स
अपनी ही 
ताड़ मे
कोई सामने 
कोई आड़ मे आगे पढ़ें

एक वर्ष पहले

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