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Social Media Poetry: उस नाटक के पात्र रहे हम जिसकी है पटकथा अधूरी!

सोशल मीडिया
                
                                                         
                            उस नाटक के पात्र रहे हम
                                                                 
                            
जिसकी है पटकथा अधूरी!

रटे     रटाये    संवादों   को  
अभिनय में दोहराना पड़ता
गाते  -   गाते  रोना   पड़ता  
रोते - रोते   गाना     पड़ता

कपड़े   बदल - बदल   कर 
दृश्यों की माँगें करनी हैं पूरी!

समय कभी बनता खलनायक 
अनायास   ही   डर   जाते  हैं
कई  दृश्य  आकर नस नस में 
कालकूट   सा   भर   जाते हैं

कभी किसी की एक छुअन से
तन   मन   हो   जाता  कस्तूरी! आगे पढ़ें

23 घंटे पहले

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