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Social Media Poetry: जीवन तो जीवन है जीवन हर दर्शक का दास नहीं है !

वायरल काव्य
                
                                                         
                            वह नाटक भी करना पड़ता 
                                                                 
                            
जिसका  पूर्वाभ्यास नहीं है 
दर्शक  आशायें    बाँधे    हैं 
निर्देशक  भी  पास  नहीं है !

किसी काम के नहीं यहाँ पर
रटे      हुये    संवाद    हमारे 
कोई नहीं  समझता  हमको 
पीड़ा   हर्ष   विषाद   हमारे 

पात्र यहाँ  प्यासा है लेकिन 
मन  में  कोई  प्यास नहीं है !

करने को करता रहता जग 
निंदा  और  प्रशस्ति हमारी 
लेकिन हम पर है बस  ताली 
बजवाने    की   ज़िम्मेदारी 

सारे दृश्य सफल हों इतना -
भी ख़ुद पर विश्वास नहीं है !

रंगमंच  की  इस  दुनिया में 
पात्रों के कुछ  मोल  नहीं हैं
कठपुतली की गति न स्वयं की
उस के अपने बोल नहीं हैं  

जीवन तो जीवन है जीवन 
हर दर्शक का दास नहीं है !

साभार: ज्ञानप्रकाश आकुल की फेसबुक वाल से 

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18 घंटे पहले

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