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‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ ने तैयार किया महाकुंभ पर विस्तृत, शोधपरक एवं आकर्षक साहित्य

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                            •    महाकुंभ पर इस साहित्य का शीर्षक है- ‘महाकुंभ का महामंथन’ 
                                                                 
                            
•    काउंसिल ने इस साहित्य की कवर फोटो रिलीज करते हुए कहा, प्रधानमंत्री को पहली प्रति भेंट करने का प्रयत्न करेंगे।
•    कहा, ईश्वरीय कृपा एवं प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में डबल-इंजन सरकार के कुशल-प्रबंधन के कारण ही ये यज्ञ पूरा हुआ।
•    महाकुंभ की सफलता को विश्वव्यापी-स्तर पर ले जाने के लिए संस्था ने इसे हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में तैयार किया।
•    11 वर्ष के बाल-व्यास वैदेहीनंदन वेदांत ने दिया था काउंसिल को ये कॉन्सेप्ट
•    नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में आयोजित कुंभ पर भी इसी तरह का दस्तावेज तैयार करेगी काउंसिल
 
संस्था ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ ने महाकुंभ पर एक विस्तृत, शोधपरक एवं आकर्षक साहित्य तैयार किया है। ‘महाकुंभ का महामंथन’ शीर्षक वाले इस कॉन्सेप्ट के सूत्रधार 11 वर्षीय बाल-व्यास वैदेहीनंदन पंडित वेदांतजी हैं। इस विषय की जानकारी देते हुए काउंसिल के सचिव पितांबर मिश्र बताते हैं कि आने वाली पीढ़ी सदियों बाद भी इस विषय पर शोध कर सके, संदर्भ ले सके, ज्ञान प्राप्त कर सके तथा अपने सनातन के गौरव पर गर्व कर सके, इसके लिए हमने इस साहित्य में महाकुंभ, अखाड़ा व इस दौरान स्नान से संबंधित कई आध्यात्मिक जानकारियों को सम्मिलित किया है। पितांबर कहते हैं कि इस साहित्य में लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं संघ के क्षेत्रीय संघचालक (उत्तर क्षेत्र) पवन जिंदल जी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए हैं, वहीं, यूपी के कई विभागों के तत्कालीन प्रमुख सचिव व अधिकारियों ने भी इसमें अपने विचार दिए हैं।

वहीं, काउंसिल में राष्ट्रीय युवा संयोजक एवं भाजपा में राष्ट्रीय मीडिया पैनेलिस्ट जयराम विप्लव के अनुसार, इस आकर्षक साहित्य में हमने महाकुंभ की तैयारी, यह आयोजन, इसके क्रियान्वयन तथा इसके वैश्विक दूरगामी संदेश को क्रमबद्ध तरीके से कवर किया है। पूर्ण विश्वास के साथ जयराम बताते हैं कि जब आप इस साहित्य ‘महाकुंभ का महामंथन’ की प्रस्तुति को देखेंगे तो आप कहेंगे कि महाकुंभ पर इस तरह का आकर्षक एवं व्यापक साहित्य आपके संज्ञान में नहीं आया है। जयराम बताते हैं कि काउंसिल ने इन सभी सामग्रियों को डिजिटल रूप से प्रसार करने के लिए www.mahakumbhinfo.com को भी तैयार किया है, जिस पर हमारे पास एकत्रित हुए महाकुंभ की सारी सामग्रियों को शीघ्र ही ऑनलाइन भी किया जाएगा। उनके अनुसार, पूरे काउंसिल परिवार की इच्छा है कि इसकी पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भेंट करने के बाद ही जाए इसे जनमानस में लाया जाए।

काउंसिल के ट्रस्टी देव रत्न शर्मा के अनुसार, काउंसिल ने ‘महाकुंभ का महामंथन’ को अंग्रेजी में भी तैयार किया है ताकि सनातन परंपरा के इस ऐतिहासिक विषय (महाकुंभ का महामंथन) को कई देशों में ले जा सकें। देव रत्न कहते हैं कि हमारा संकल्प होता है कि ऐसे ऐतिहासिक आयोजनों को हम सहस्त्राब्दियों बाद भी शोध हेतु संरक्षित रख सकें, इसके लिए हम दुनिया के लोकप्रिय पुस्तकालयों से संपर्क करते हैं और ऐसे साहित्य को रखवाने का प्रयत्न करते हैं।

वहीं, काउंसिल के ट्रस्टी अंबर अग्रवाल बताते हैं कि काउंसिल देश में सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन हेतु साहित्य-सृजन पर विशेष कार्य अनवरत करती रही है। वह जानकारी देते हैं कि वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान सेक्टर-23 में भी प्रयागराज मेला प्राधिकरण (उत्तर प्रदेश) द्वारा काउंसिल को भी स्थान आवंटित किया गया था। अंबर ने इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का धन्यवाद देते हुए कहा कि महाकुंभ को मानस-पटल पर सदैव जीवंत रखने के दृष्टिकोण से काउंसिल ने एक आकर्षक ‘कॉफीटेबल-बुक’ (शीर्षक- महाकुंभ का महामंथ) को प्रकाशित किया है।

काउंसिल के सचिव पितांबर कहते हैं कि आगामी नासिक, हरिद्वार एवं उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ पर भी इसी तरह का दस्तावेज काउंसिल तैयार करेगी।
21 घंटे पहले

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