एक नौजवान पागल
जब पागलख़ाना से ठीक होकर आया
तो उसके मां-बाप ने
बहुत आनंद मनाया
नौजवान ने महसूस की
तेजी के साथ बढ़ती हुई
ग़रीबी की बीमारी
महंगाई की चक्की में
पिसते हुए नर-नारा
हर तरफ़ फ़रेब, बलात्कार औ हत्याएं
शर्मिंदा होती हुई कुरआन की आयतें
और वेदों की ऋचाएं
सिसकती हुई इंसानियत
बिलखता हुआ विश्वास
खून के आंसू रोता हुआ
देश का इतिहास।
उसने सोचा, क्या ज़माना है।
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