अगर बे-असर न होतीं बार-बार
और पूरी होकर लौटतीं प्रार्थनाएँ
तो मैं सबसे पहले टहनियों की तरह नाज़ुक हड्डियों वाले बच्चों के लिए प्रोटीन माँगता
मैं चाहता कि देश मज़बूत रीढ़वालों के हाथों में सौंपा जाए
उसके बाद रेल की पटरियों पर अँधेरे में सुबकते
प्रेमियों के लिए बहुत सारी जगह माँगता
मैं अपील करता कि शहर का सारा प्यार
अँधेरी गलियों, कॉफ़ी हाउस और होटल के कमरों से बाहर निकाला जाए
बेवाओं के लिए माँगता लोहे की आरियाँ
पंडित और मुल्लाओं के लिए बहुत सारे नेक इरादे
मैं चाहता कि जवानियाँ हादसों का शिकार न हों
उनके लिए माँगता बूढ़ा होकर मर जाने तक की मोहलत
मेरी सबसे नाज़ुक माँग बच्चों के लिए होती
मैं इस सूची में शामिल करता एक-एक जोड़ी जूते उन सभी बच्चों के लिए
जो अस्पतालों के पीछे सुइयाँ बीनते हैं नंगे पैर
सरकार के लिए अपनी आग से सड़क की धूप खोदने वाली औरतों के लिए एक-एक रफ़ूगर माँगता
जो उनके फटे हुए ब्लाउज़ और पेटीकोट सिलने के बदले नहीं माँगते उनकी देह
रफ़ूगर उनके प्यार में पड़ते
और बेईमान ठेकेदारों से उन्हें दिलाते उनका मेहनताना और पसीने का वाजिब दाम
नदी के उस तरफ़ रहने वाले तमाम लड़कों के लिए एक पुल की दुआ करता
कि वे आसानी से आ सकें इस तरफ़ और रख सकें अपने इज़हार सुंदर हथेलियों पर
मैं इस दुनिया में कुछ बड़े जहाज़ों की उम्मीद करता
जो तमाम शिकायतों और झूठी एफ़आईआर को भरकर किसी बेनाम ट्रिचिंग ग्राउंड पर फेंक आते
मैं माँगता कि दुनिया ज़ालिम और मज़लूम की कहानी भर न हो
इसमें कुछ सुंदर कविताएँ, कुछ गद्य और पूरी प्रेम-कहानियाँ भी हों
मैं जिसके प्यार में मर चुका हूँ
उसकी आँखों के किनारे एक नाव रखता
जो सारे आँसू भरकर दूर कहीं डूब जाए
फिर उसके लिए माँगता एक खिड़की
खिड़की के बाहर न बदलने वाला एक मौसम
कुछ बेहद दिलकश शाइर जो उसे प्रतीक्षाओं की कहानियाँ सुनाते
मेरी ग़ैरहाज़िरी में उसका दिल बहलाते
उसे गीत सुनाते
वहीं दूर कहीं अँधेरे में एक सफ़ेद क़ब्र होती
जिस पर मैं अपना नाम लिखा हुआ माँगता
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