नाकामियों के खौफ ने दीवाना कर दिया,
मंजिल के सामने भी पहूँच के निराश हूँ।
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रौशनी नहीं।
आता है जो तूफ़ाँ आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है
मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए।
फ़िल्म इंडस्ट्री के शोमैन कहे जाने वाले, गुज़रे ज़माने के महान कलाकार राजकपूर साहब की पहली फ़िल्म 'आग' का मशहूर गीत 'ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं' से बहज़ाद लखनवी साहब ने शोहरत की दुनिया में क़दम रखे। इस शुरुआत के साथ वे हिंदी सिनेमा की ज़रूरत बन गए।
अपने शायराना तहज़ीब को अपनी कलम से रंग देने वाले जनाब सरदार अहमद ख़ान यानी बहज़ाद लखनवी अपने ढंग के अलहदा शायर थे। बहज़ाद साहब की ग़ज़ल 'दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे' को जब मशहूर ग़ज़ल गायिका बेगम अख़्तर ने अपनी आवाज़ दी तो एक समय में ग़ज़ल प्रेमियों की ज़ुबान पर सिग्नेचर ट्यून की तरह चढ़ गई थी। आज भी लोग उसी शिद्दत से सुनते हैं इस ग़ज़ल को -
"दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे
वरना कहीं तक़दीर तमाशा न बना दे
ऐ देखनेवालों मुझे हँस-हँस के न देखो
तुमको भी मुहब्बत कहीँ मुझ-सा न बना दे
मैं ढूँढ रहा हूँ मेरी वो शम्मा कहाँ है
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे।"
"न आंखों में आंसू न होंठों पे हाए
मगर एक मुद्दत हुई मुस्कुराए"
भी फ़िल्म 'आग' के लिए बहज़ाद साहब ने लिखा, यह गीत भी बहुत हिट हुआ।
बहज़ाद साहब के गीतों में परेशानियों का धैर्य के साथ मुकाबला करने की ताक़त है। 1950 में रिलीज हुई फ़िल्म 'शीशमहल' के लिए उन्होंने शम्स लखनवी के साथ मिलकर गीत लिखा -
"आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो
कोई मुश्किल ऐसी नहीं कि जो आसान ना हो
ये हमेशा से है तक़दीर की ग़र्दिश की जलन
चाँद-सूरज को भी लग जाता है एक बार ग्रहण
वक्त की देख के तब्दीलियां हैरान ना हो
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो
कोई मुश्किल ऐसी नहीं कि जो आसान ना हो।"
पुष्पा दुर्रानी की आवाज़ में ये गीत आज भी सुनें तो शायर के जज़्बात से आप खुद को जोड़ पाएंगे। बहज़ाद साहब ने मस्ती भरे रोमांटिक गीत भी लिखे, फिल्म 'आग' के लिए ही उन्होंने लिखा-
सोलह बरस की भई उमरिया
गोरे-गोरे पांव में झांझर, चाल करे बदनाम
संदल जैसे हाथ लचीले
कौन न ले दिल थाम...
मोहम्मद रफ़ी और शमशाद बेगम की आवाज़ में ये गीत आज भी बहुत सुहाना लगता है। 1942 में आई फ़िल्म 'ज़मींदार' के लिए बहज़ाद साहब का लिखा गीत -
मोरे देवरा !
मोरे देवरिया की होगी सगाई रे
लकंगन मोहे ला दे
शमशाद बेगम की सुरीली आवाज़ आवाज में ये गीत दिल को सुकून पहुंचाता है।
1 जनवरी 1900 को उत्तर लखनऊ में पैदा हुए बहज़ाद साहब के खून में शायरी थी। उनके पिता अपने समय के मशहूर कवि थे, ज़ाहिर है पारिवारिक पृष्ठभूमि का असर बहज़ाद लखनवी पर भी पड़नी थी। लखनऊ के शायराना मिज़ाज और साहित्यिक पृष्ठभूमि से प्रभावित बहज़ाद साहब छोटी उम्र से ही तुकबंदियां करने लगे थे।
लम्बे समय तक भारतीय रेलवे के लिए उन्होंने काम किया लेकिन एक ऐसा समय आया जब बहज़ाद साहब को 'आल इंडिया रेडियो' में काम करने का मौक़ा मिल गया और वे इस मौके को गंवाना नहीं चाहते थे। उन्होंने बिना देरी किए 'आल इंडिया रेडियो' के साथ काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान वे लगातार फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से संपर्क करते रहे क्योंकि वे फिल्मों के लिए गीत लिखना चाहते थे।
भारत-पाक बंटवारे के समय बहज़ाद लखनवी साहब पाकिस्तान चले गए और रेडियो करांची के लिए काम करने लगे। उनकी लिखी गज़ल 'ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहूँ' बहुत लोकप्रिय हुई -
ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए ।
ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए ।
ऐ रहबर-ए-कामिल चलने को तैयार तो हूँ पर याद रहे
उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए।
हाँ याद मुझे तुम कर लेना आवाज़ मुझे तुम दे लेना
इस राह-ए-मोहब्बत में कोई दरपेश जो मुश्किल आ जाए।
अब क्यूँ ढूँढूं वो चश्म-ए-करम होने दे सितम बाला-ए-सितम
मैं चाहता हूँ ऐ जज़्बा-ए-ग़म मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए ।
इस जज़्बा-ए-दिल के बारे में इक मशवरा तुम से लेता हूँ
उस वक़्त मुझे क्या लाज़िम है जब तुझ पे मेरा दिल आ जाए ।
ऐ बर्क़-ए-तजल्ली कौंध ज़रा क्या तू ने मुझ को भी मूसा समझा है
मैं तूर नहीं जो जल जाऊँ जो चाहे मुक़ाबिल आ जाए ।
आता है जो तूफ़ाँ आने दो कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है
मुमकिन तो नहीं इन मौजों में बहता हुआ साहिल आ जाए ।
'नगमा-ओ-नूर', 'कैफ-ए-शुरूर', 'मौज-ए-तहूर', 'चिराग-ए-तूर', और 'वज्द-ओ-हाल' बहज़ाद साहब के ग़ज़ल संग्रह हैं। हिंदी फ़िल्मों के शुरुआती दौर के गीतकार और उर्दू ग़ज़लों को नई दिशा देने वाले बहज़ाद लख़नवी साहब ने 10 अक्तूबर 1974 करांची में आख़िरी सांस ली।
आगे पढ़ें
11 महीने पहले
कमेंट
कमेंट X