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ये दिल किसी

                
                                                         
                            ये दिल किसी ख़्वाब की
                                                                 
                            
जागीर हो नहीं पाया।
महल था ख्वाबों का जो
तामीर हो नहीं पाया ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद
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2 वर्ष पहले

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