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मंजिल और तिनका

                
                                                         
                            वो निकले थे, पाने को मंजिल,
                                                                 
                            
साथ में गिरने का हौसला लेकर,
पता था ,राहें कठिन होंगी,
होंगे सुरमाए इन पगडंडियों पर,
तुम्हे मकसद से भटकाने को
वो डराएंगे, दिखाएंगे आपने
उपलब्धियां का धौस,
पर तुम किंचित ना विचलित होना,
क्षण एक ना तुम धीरज खोना।

बाधाएं आई हैं तो क्या ?
बाधाएं उस पत्थर की भाती है
जिसे समय रूपी धारा बहाकर ले जाएंगी।
इस उफनती धारा में तुम
उस तिनके को थामे रखना
बस, तिनके को थामे रखना

एक तिनका क्या है ?
सीता का हथियार है
युद्ध का ब्रह्मास्त्र है
डूबते का सहारा है
घोंसले की नीव है
आंखों को शूल है
जीवन का सहारा है
बस एक तिनका....
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एक घंटा पहले

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