मैं कैसे लिखूं मोहब्बत में कविताएं
जब बड़ी आबादी निर्भर हो
सरकारों के मुफ़्त राशन के भरोसे
कैसे लिखूं कविताओं में
बच्चों की मासूमियत
उनके कोमल हाथ
मुलायम बाल,मासूम आंखे
जब भूख ने छीन ली हो उसकी मासूमियत
और झोंक दिए हो चिलचिलाती धूप में
ईट की भट्ठियों पर ,तपती दोपहर में सड़कों पर
कैसे लिखूं कविताओ में
किसानों के मुस्कुराते चेहरे
उनकी हरी भरी लहराती फसलें
जब उन्हें हक के लिए करना पड़े अनशन
और उन पर बरसाए जाए डंडे
न सुनी जाए उनकी मांगे
इन समस्याओं को दरकिनार कर
कोई लिखता है प्रेम की कविताएं
या तो वह कागज़ी है या रचना
जैसे खाली पेट कोई दर्शनिक नहीं
उसी तरह बिना किसी की पीड़ा दूर किए
उस मोहब्बत का कोई अस्तित्व नहीं
इसलिए कविताओं में मोहब्बत
लिखने से रोक लेता हूं अपनी कलम....
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