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कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है: राहुल सांकृत्यायन

कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ो, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है: राहुल सांकृत्यायन
                
                                                         
                            राहुल जी कहा करते थे 'कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है।' राहुल जी को आधुनिक हिन्दी साहित्य में यात्राकार, इतिहासविद्, तत्वान्वेषी और युग परिवर्तनकारी साहित्यकार के रूप में जाना जाता है। राहुल जी ने किशोरावस्था में ही अपना घर छोड़ दिया। वर्षों तक हिमालय में यायावरी जीवनयापन किया । 36 भाषाओं के ज्ञाता राहुल जी ने वाराणसी में संस्कृत का अध्ययन किया, आगरा में पढ़ाई की, लाहौर में मिशनरी काम किया और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल भी गए। बौद्ध धर्म पर उनका का शोध युगांतकारी है जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया और ढेर सारे साहित्य खच्चर पर लाद कर लाए थे।
                                                                 
                            

जन्म हुआ तो नाम केदारनाथ पांडेय, उम्र के दूसरे पड़ाव पर राहुल सांकृत्यायन बने और आखिर तक महापंडित बने रहे। महापंडित की उपाधि प्राप्त राहुल सांकृत्यायन ने कभी खुद को इससे नहीं जोड़ा। उन्हें अपना महापंडित कहलाना अच्छा नहीं लगता था। 
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एक वर्ष पहले

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