लेखक वह व्यक्ति होता है, जो वर्षों धैर्यपूर्वक अपने अंदर दूसरे की खोज
करने की कोशिश करता है, और उस दुनिया की तलाश करता है, जिसने उसे बनाया है
कि वह कौन है। जब मैं लिखने की बात करता हूं, तो सबसे पहले जो मेरे जेहन
में कौंधता है, वह उपन्यास, कविता या साहित्यिक परंपरा नहीं है, बल्कि वह
व्यक्ति होता है, जो खुद को एक कमरे में बंद कर लेता है, मेज पर अकेले
बैठता है और अपने अंतस में उतरता है अपनी छायाओं के बीच और फिर शब्दों के
जरिये एक नई दुनिया का निर्माण करता है।
जहां बच्चे गलियों में खेल रहे होते हैं...
वह इंसान (पुरुष या स्त्री) टाइपराइटर, कंप्यूटर या कागज-कलम का उपयोग कर
सकता है, जैसा कि मैं पिछले कई दशकों से करता हूं। समय-समय पर वह अपनी मेज
से उठकर खिड़की से बाहर देखता है, जहां बच्चे गलियों में खेल रहे होते हैं।
अगर वह भाग्यवान हुआ, तो वह दीवार से परे पेड़ या कोई दृश्य देख सकता है।
वह मेरी तरह उपन्यास, कविता, नाटक लिख सकता है। ये सब चीजें तभी होती हैं,
जब कोई मेज पर बैठता है और धैर्यपूर्वक अपने अंतस की ओर झांकता है। लिखना
अपने अंतस को शब्दों में ढालना है, और इस काम को धैर्य, जिद और खुशी के साथ
करना होता है।
जब मैं लिखने बैठता हूं...
जब मैं लिखने बैठता हूं, तो नए शब्दों को सादे पेज पर लिखता
हूं और मुझे लगता है कि मैं एक नई दुनिया बना रहा हूं, कुछ उसी तरह जैसे
कोई पत्थर पर पत्थर जोड़कर पुल या गुंबद का निर्माण करता है।
हम लेखक एक नई दुनिया के सृजन के लिए जिस पत्थर का उपयोग करते हैं, वह शब्द
है। हम उन तरीकों को समझते हैं, जिनमें से प्रत्येक शब्द दूसरों से जुड़ा
हुआ है, और उम्मीद करते हैं कि हम नई दुनिया बनाते हैं।
-तुर्की के नोबेलजयी उपन्यासकार
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जहां बच्चे गलियों में खेल रहे होते हैं...
20 घंटे पहले
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