आप अगर तमाम फूलों को नष्ट कर दे तो भी वसंत को आने से नहीं रोक सकते। एक बच्चा अगर नहीं खेलता, तो वह बच्चा नहीं है। लेकिन जो मनुष्य खेल में रुचि नहीं लेता, उसने अपने भीतर के बच्चे को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। बचपन के जंगली बगीचे में सब कुछ उत्सव जैसा होता है। कुछ भी हमें मृत्यु से नहीं बचा सकता, पर प्रेम हमें जीवन में तो बचा ही सकता है। प्रेम बहुत छोटा होता है, जबकि उसे भूलना बहुत लंबा। मुझे बेशक रोटी, हवा, रौशनी, पानी और वसंत न दो, लेकिन अपनी मुस्कुराहट से वंचित न करो, नहीं तो मैं मर जाऊंगा।
मुस्कराहट हमारी आत्मा की भाषा है। सिर्फ़ अकूत धैर्य ही हमें ख़ुशी तक ले जा सकता है। एक चुंबन में तुम वह सब कुछ जान जाओगी, जो मैंने कहा नहीं। मैं तुमसे प्रेम करता हूं, बिना यह जाने कि कहा, क्यों और कैसे इस प्रेम की शुरुआत हुई। मैं बगैर किसी समस्या या गर्व के तुमसे प्रेम करता हूं। मैं इसी तरह से तुमसे प्रेम करता हूं, क्योंकि मैं प्रेम का कोई दूसरा तरीका नहीं जानता। मैं तुम्हारे साथ उसी तरह प्रेम करना चाहता जिस तरह वसंत चेरी के पेड़ के साथ प्रेम करता है।
लोगों से हमारा प्यार उस आग की तरह है, जो हमारा पोषण करती है। प्रेम संपत्ति नहीं है, न ही यह हीरा या कोई उपहार है। दुख से दुख तक प्रेम कई द्वीपों का सफर तय करता है और ज़मीन के अंदर अपनी जड़ें छोड़ता है, जो आंसुओं से पोषण पाती हैं। शोक और स्तब्धता की आंखों में ही सपनों की ज़मीन की शुरुआत होती है। रात को मैं सपने में देखता हूं कि तुम और मैं एक साथ पैदा हुए दो पौधों की तरह हैं, जिनकी जड़ें एक दूसरे से जुड़ी हैं, और तुम मेरे चेहरे की तरह ही इस पृथ्वी और बारिश को पहचानती हो, क्योंकि हम मिट्टी और बारिश से बने हुए हैं।
अगर अचानक तुम्हारा अस्तित्व खत्म हो जाता है। अगर अचानक तुम इस दुनिया में न रहो, फिर भी मैं जिऊंगा। यह कहने की मेरी हिम्मत नहीं, यह लिखने की मेरी हिम्मत नहीं, फिर भी मैं कहता हूँ कि तुम्हारे न रहने पर भी मैं जिऊंगा। तुम्हारी आंखों की रोशनी के बगैर में रात को अंधेरे में भटक गया। और जब रात ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया, तब मैंने दोबारा जन्म लिया। मेरे हिस्से के अंधेरे के लिए मैं ही जिम्मेदार हूं।
जीने के लिए मुझे चुप्पी और पानी दो, लड़ने के लिए मुझे संघर्ष, लोहा और ज्वालामुखी दो। वर्षा की भाषा होती है। लेकिन ध्वस्त शहरों पर क्रुद्ध वर्षा किस भाषा में बरसती है? मुझे समुद्र की जरूरत है, क्योंकि यह मुझे सिखाता है। जब मैं लिखता हूं, तब दूर चला जाता हूं। और जब मैं लौट आता हूं तब मैं जा चुका होता हूं। कविता शांति की ओर उठाया गया एक कदम है। शांति की खोज ही किसी व्यक्ति को कवि बनाती है, जैसे आटे से रोटियां बनती हैं। मनुष्य आखिर कितने दिन जीता है? वह एक दिन जीता है या हजार दिन? वह एक दिन जीता है या कई शताब्दियों?
मृत्यु के लिए व्यक्ति कितने दिन खर्च करता है? फिर हमेशा के लिए कहने का क्या अर्थ है? कभी-कभी जब मैं बहुत सुबह उठता हूै, तब तेरी आत्मा भी भीगी होती है। जिसके पास कुछ नहीं है, उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। मेरे चारों तरफ इतने जीवित प्राणी है कि उन्हीं की वजह से मैं जीवित हूं और बगैर हिले-दुले मैं यह सब कुछ देख लेता हूँ। मैं तुम्हारे अंदर ही आसपास के तमाम जीवित प्राणियों को देख लेता हूं।
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2 वर्ष पहले
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