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साहित्यकार समसामयिकता को साथ लेकर चले, पर आने वाले कल की चिंता ज़रूर करे: अटल बिहारी वाजपेयी

साहित्य
अटल जी कहते थे- साहित्यकार को अपने प्रति सच्चा होना चाहिए, उसे समाज के लिए अपने
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                            अटल जी कहते थे- साहित्यकार को अपने प्रति सच्चा होना चाहिए, उसे समाज के लिए अपने दायित्व का सही अर्थों में निर्वाह करना चाहिए, वह समसामयिकता को साथ लेकर चले, पर आने वाले कल की चिंता ज़रूर करे। अटलजी भारत को विश्वशक्ति के रूप में देखना चाहते थे, वे कहते हैं- मैं चाहता हूँ भारत एक महान शक्ति बने, शक्तिशाली बने, संसार के राष्ट्रों में प्रथम पंक्ति में आये, उन्हीं के शब्दों में-
                                                                 
                            

स्वप्न देखा था कभी जो आज हर धड़कन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है
एक नया भारत कि जिसमें एक नया विश्वास हो, एक नया उल्लास हो
हो जहाँ सम्मान हर एक जाति, हर एक धर्म का
सब समर्पित हों जिसे, वह लक्ष्य जिसके पास हो
एक नया अभिमान अपने देश में जन-जन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है

भूख जो जड़ से मिटा दे, वह उगाना है हमें
प्यास ना बाकी रहे, वह जल बनाना है हमें
जो प्रगति से जोड़ दे, ऐसी सड़क चाहिए
देश सारा गा सके वह गीत गाना है हमें
एक नया संगीत देखो आज कण कण में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है

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6 महीने पहले

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