मध्य प्रदेश के जबलपुर के एक छोटे से गाँव कुण्डेश्वर (कुण्डेश्वर संशोधित नाम है, असल में गाँव का नाम 'कुण्डम' है लेकिन वहाँ पर कुण्डेश्वर महाराज के नाम से शिव जी का एक मंदिर है जिस वजह से लोग प्रयासरत हैं कि गाँव का नाम कुण्डेश्वर ही हो) में 1997 में पैदा हुए निखिल मिश्रा एक आर्टिस्ट हैं। डिजिटल आर्टिस्ट। वे डिजजिटल एनिमेशन का काम करते हैं। पेंटिंग्स बनाते हैं। सोशल मीडिया के दौर में डिजिटली बहुत सी रचनात्मक चीजें जगह-जगह दौड़ती रहती हैं, किसी के क्रिएशन को कोई कहीं भी इस्तेमाल करने से हिचकता नहीं। हालांकि अब बहुत सारे फिल्टर भी लगे हैं और कुछ हद तक लगाम भी लगी है लेकिन अभी भी वर्चुल माध्यम के समक्ष बहुत सी चुनौतियां खड़ी हैं जिनका न केवल सामना करना है उसे बल्कि समाधान भी खोजना है। ताकि कोई कलाकार अपनी कृति को बिना किसी लाग लपेट के लोगों तक पहुँचा सके और उसे लोग उन कृतियों या कलाओं माध्यम से कलाकार को भी जानें। इसी संदर्भ में अमर उजाला काव्य के साथ बातचीत करते हुए निखिल ने आपबीती सुनाई
शुरूआत से अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए निखिल ने कहा-
परिवार में धार्मिक वातावरण था इसलिए बचपन से ही मैं आध्यात्मिक प्रकृति का रहा हूँ और शायद इसीलिए ज्यादातर पेंटिंग्स देवी- देवताओं की ही बनाई। बचपन से ही पेंटिंग का शौक रहा और यह शौक आगे चलकर आजीविका का साधन बना। पहले कागज पर पेंटिंग बनाता था और उसमें रंग भरता था, अब डिजिटल एनिमेशन के क्षेत्र में सक्रिय हूँ। मंच से भी जुड़ा रहा हूँ और रामलीला में भगवान राम का चरित्र भी निभाता हूँ।
शिक्षा-दीक्षा के विषय में बात करते हुए कहते हैं-
12 वीं कक्षा के बाद ऑर्ट और एनिमेशन में डिग्री डिप्लोमा की सोची लेकिन फीस अधिक होने के चलते कर नहीं पाए। आईटीआई में डिप्लोमा करने के बाद भी मन कहीं लगा नहीं तो गाँव लौट आया और मोबाइल में ही एनिमेशन का काम करने लगा। कुछ समय बाद इंदौर आ गया और भटकते रहे, कुछ दिनों बाद गुरप्रीत जी मिले जिनका काम ही एनिमेशन का था। गुरप्रीत सर के साथ काम करने लगा। वहाँ पर 500 रुपए प्रति माह मिलता था लेकिन सीखने के लिए बहुत कुछ था। काम करते हुए ही काफी कुछ एनिमेशन में सीखा भी। सीखने की प्रवृत्ति थी तो जो भी काम मिला, करते रहे। कुछ वेब सीरीज में भी काम किया, कई तरह के म्यूजिक में भी मेरी कलाकृतियों को इस्तेमाल किया गया। कोविड के समय घर आ गए और स्थितियां ऐसी बनीं कि वापस शहर जाना मुश्किल हो गया। फिर मैंने गाँव में ही रहने का मन बनाया और वहीं से डिजिटल एनिमेशन का काम करना शुरू किया और अपने सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर डालना शुरू किया। धीरे- धीरे काम को सराहा जाने लगा। और काम मिलने लगा लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत जो है वह यह कि, इंटरनेट के जमाने में मेरे बनाए हुए एनिमेशन कई जगहों पर दिख जाते हैं। लोग एनिमेशन का इस्तेमाल करते हैं और क्रेडिट भी नहीं देते, क्लेम करने पर उल्टी बात करने लगते हैं।
भजन सुनते- सुनते एक पेंटिंग बनाई भगवान श्रीराम
निखिल बताते हैं कभी-कभी कुछ ऐसा काम हो जाता है जो फिर 'न भूतो न भविष्यते' यानि फिर नहीं हो पाता, ऐसे ही हुआ 2020 में, जब भजन सुनते- सुनते एक पेंटिंग बनाई भगवान श्रीराम की , जो 20 मिनट में बनकर तैयार हो गई। हालांकि वो पेंटिग अभी भी रफ है, उसे अभी क्लीन नहीं किया है, लेकिन वह मुझे इतनी अच्छी लगी कि उसे वैसे ही सोशल मीडिया पर अपलोड दिया और उसे इतनी लोकप्रियता मिली कि लोग मुझे एक पेंटर के रूप में जानने लगे। उसके बाद एनिमेशन भी बनाई। इस कलाकृति को बहुत बड़े-बड़े लोगों ने शेयर किया और सराहा। रामायण में भगवान राम के किरदार में प्रसिद्ध हो चुके अरुण गोबिल ने भी शेयर किया। उनसे मुलाकात भी हुई और उन्हें गिफ्ट भी किया। वो पेंटिग्स अब बहुत प्रसिद्ध हो चुकी है और अक्सर हर जगह देखने को मिल जाती है, देखकर मन को संतोष होता है। कहते हैं मेरी पेंटिंग्स अलग स्टाइल के लिए जानी जाती है। ऑर्ट स्टाइल को भी लोगों काॅपी किया।
निखिल बताते हैं कई तरह के पेंटिग्स बनाता हूँ वह इतनी सहजता से नहीं बन पाती लेकिन जब भी भगवान की पेंटिंग्स बनाता हूँ आसानी से बन जाती है। भगवान राम की पेटिंग्स कई मीडिया प्लेटफाॅर्म से लेकर अयोध्या के इंटरनेशनल एअरपोर्ट्स के उद्घाटन के समय भी वो पीछे दिख रही थी। मुझे खुद नहीं पता था कि यहाँ मेरा एनिमेशन चल रहा था। किसी ने बताया नहीं था। कई बड़े-बड़े इवेंट्स में मेरे बनाए एनिमेशन का इस्तेमाल हुआ।
लोग मेरे पेंटिंग्स को बिना पूछे उठाते हैं और क्रेडिट तक नहीं देते
आगे निखिल कहते हैं कि अधिकतम मामलों में ( 99.9%) लोग मेरे क्रिएशन को बिना पूछे उठा लेते हैं क्रेडिट तक नहीं देते। कुछ बोलने पर उल्टा बोलने लगते हैं। इसके चलते लोग मुझे नोटिस भी भेज चुके हैं। 2018 में बने मेरे यूट्यूब चैनल पर भी 3 स्ट्राइक आ चुकी है। चैनल भी शायद बंद हो जाए। बिना मुझसे पूछे, बिना राॅयल्टी दिए मेरे ऑर्ट को लोग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं और कुछ कहने पर उल्टा परेशान करते हैं। अब पानी सर से ऊपर जाने लगा है तब मुझे लगता है कि इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए। भोपाल में एक शो के दौरान अभी हाल ही में मेरे एनिमेशन का उपयोग किया गया और ऐसे न जाने कितने मामले हैं। किसी ने कहीं क्रेडिट नहीं दिया। दूसरे यूट्यूब चैनल्स में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हमारे देश में यह सामान्य है, कृतियों का इस्तेमाल करना लेकिन कलाकार के बारे में कोई नहीं सोचता। जबकि भगवान की कुछ पेंटिंग्स मैंने क्रिएटिव काॅमन में डाल दिया है जिसका इस्तेमाल सभी कर सकते हैं, भगवान के नाम पर।
कैलाश खेर के साथ भी किया काम
अपने व्यावसायिक परियोजनाओं पर बात करते हुए निखिल कहते हैं कि- कई परियोजनाओं में काम किया, एक कंसर्ट में कैलाश खेर जी ने मेरा एनिमेशन इस्तेमाल किया था, लेकिन जब उनको ऑर्टिस्ट का पता चला तो उन्होंने मुझे बुलाया और मेरे काम को सराहा, उनके साथ मैंने कुछ काम भी किया। अभी हाल में ही जगन्नाथ पुरी, लिंगराज मंदिर में मेरे ऑर्ट्स को डिस्प्ले किया गया। उन लोगों ने मुझसे संपर्क किया और बुलाया भी। अब अपनी वेबसाइट है, ऑर्ट मेरी साधना है, अपने मन का काम करता हूँ, जिन्हें जरूरत होती वे खरीदते भी हैं। कुल मिलाकर काम चल रहा है। गाँव में ही रहना है, यहीं से काम करना है, यहीं एक स्कूल भी खोल रहा हूँ जिसमें बच्चों को कला और संस्कृति से जोड़ने के लिए प्रयासरत रहूँगा।
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भजन सुनते- सुनते एक पेंटिंग बनाई भगवान श्रीराम
एक वर्ष पहले
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