आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

Meer Taqi Meer: पढ़ते फिरेंगे गलियों में इन रेख़्तों को लोग

साहित्य
                
                                                         
                            मैं 'मीर' का दम भरता हूँ 'असर'
                                                                 
                            
 मैं उसके कलाम का शैदा हूँ..


वह कवि, शायर और साहित्यकार बड़ा और कालजयी हो जाता है जिसे समकालीन लोगों की सराहना मिलती है और बाद की पीढ़ियाँ भी जिसे याद करती हैं.. जिसे अपना आदर्श मानती हैं.. जिसकी तरह वह लिखना-पढ़ना-गुनगुनाना चाहती हैं.. भाषा का वैसा मुहावरा और कहन का वैसा जादू अपने एहसासों में भरना चाहती हैं.. कुछ ऐसे ही हैं उर्दू अदब के जाने-माने शायर मीर तकी मीर.. जिनके जैसा सब होना चाहते हैं।  फ़िर वह ग़ालिब हों कि दाग.. सौदा हों कि हसरत मोहानी..  ज़ौक हों कि अहमद फ़राज़.. मीर तक़ी मीर की शायरी ने सबके दिलों पर किया राज.. मीर को सबकी दाद मिली। उर्दू के हर शायर के दिल में उनके लिए बेइंतहा मोहब्बत और इज्ज़त थी। आगे पढ़ें

ख़ुदा-ए-सुखन मानते थे उर्दू के शायर

9 महीने पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर