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Sudhanshu Gupt: प्यार कोई ”कॉन्स्टेंट” टर्म नहीं है !

sudhanshu gupt short story pyaar koi constant term nahin hai
                
                                                         
                            मैथ्स में उसकी बहुत रुचि थी। उसे बहुत से फार्मूले जुबानी याद थे। उम्र के साथ-साथ वे फार्मूले धुंधले पड़ते चले गए। लेकिन एक इक्वेशन उसे याद रह गयी। इस इक्वेशन में 'सी' का भी इस्तेमाल था। ‘सी’ का अर्थ था ‘कांस्टेंट टर्म’। यानी सी की वैल्यू नहीं बदलती थी। मैथ्स छूट गया। धीरे-धीरे वह इस इक्वेशन को भी भूलने लगा। भूल ही गया। बस ”सी” कांस्टेंट टर्म है यह उसे याद रहा। जीवन में इस इक्वेशन की कभी दोबारा जरूरत पड़ेगी, ऐसा लगता नहीं था। ऐसा इसलिए भी नहीं लगता था कि मैथ्स उससे पूरी तरह छूट गया था और वह पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा था। इसमें अलग ही तरह की 'इक्वेशंस' काम करती हैं। लिहाजा 'सी' उसके जेहन से उतरने लगा था। हालांकि बातचीत में वह बराबर ‘कांस्टेंट टर्म’ का इस्तेमाल करता रहा। और फिर कुछ ऐसा हुआ कि जीवन की सभी इक्वेशंस बदलती नजर आईं। ढलती उम्र में वह किसी लड़की से अटैच हो गया। भूल गया कि प्यार कोई ‘कांस्टेंट टर्म’ नहीं है। ”प्यार का टर्म पूरा हुआ”। आज वह उससे मिलने के लिए जा रहा है-आखिरी बार। ब्रेकअप के लिए-इस उम्र में। उसे लगा कि प्रेम कितनी भी बार क्यों न हो, अहसास पहले प्रेम जैसा ही होता है। लेकिन अब तो यह प्रेम खत्म होने जा रहा है। वह उसके घर जा रहा है। मन बहुत भारी है। लेकिन जाना तो होगा ही। और कोई रास्ता भी नहीं है। उसने ऑटो किया और उसके घर पहुंच गया। उसी कमरे में जहां उनके प्रेम का आगाज हुआ था। कुछ देर दोनों इसी तरह खामोश बैठे रहे। ऐसा लग रहा था जैसे सब कुछ ‘कॉन्स्टेंट’ हो गया है, ठहर गया है।

पर बात कहीं से तो शुरू करनी ही थी। उसे ब्रेकअप का कोई अनुभव नहीं था। इन्सानों की बात तो दूसरी है, वह तो दीवारों तक से ब्रेकअप नहीं करता। उसने कभी नाई की दुकान नहीं बदली। आज भी वह उसी से बाल कटवाता है जिससे शायद पहली बार कटवाये थे। लेकिन प्रेम करना हेयर कट कराना नहीं है। इतने वर्षों में वह बिलकुल नहीं बदला। लेकिन समय बदल गया। अब शायद कुछ नहीं हो सकता था। फिर भी उसे उम्मीद थी कि शायद यह रिश्ता बच जाए। वह इस रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों कर रहा था, यह उसकी समझ से परे था। वह यह भी अच्छी तरह नहीं जानता था कि यह सचमुच कोई रिश्ता था भी या नहीं? लिहाजा वह इंतजार करता रहा कि वही कुछ कहेगी। उसने कुछ नहीं कहा। वह तो जैसे यह मान कर बैठी थी, सब कुछ खत्म हो चुका है। हार कर उसे ही शुरू करना पड़ा।

”तुम्हारी आंखों में मुझे वह पहले जैसा प्यार और आत्मीयता दिखाई नहीं देती,” उसने यह वाक्य कहने को तो कह दिया, लेकिन उसे लगा कि अचानक वह बहुत छोटा हो गया है। उसमें इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वह उसकी ओर देख सकता। वह कमरे के उस सामान को देखता रहा जो कभी उसे बहुत सुंदर लगा करता था। क्या इस सारे सामान से भी उसका ”ब्रेक अप” हो रहा है।

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3 वर्ष पहले

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