उदासियों ने मिरी आत्मा को घेरा है
रू-पहली चाँदनी है और घुप अंधेरा है
कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है
क़दम क़दम पे बगूलों को तोड़ते जाएँ
इधर से गुज़रेगा तू रास्ता ये तेरा है
उफ़ुक़ के पार जो देखी है रौशनी तुम ने
वो रौशनी है ख़ुदा जाने या अंधेरा है
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