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विदा, प्रिय प्रेमपत्र, विदा, यह उसका आदेश था: अलेक्सांदर पुश्किन

विदा, प्रिय प्रेमपत्र, विदा, यह उसका आदेश था: अलेक्सांदर पुश्किन
                
                                                         
                            विदा, प्रिय प्रेमपत्र, विदा, यह उसका आदेश था
                                                                 
                            
तुम्हें जला दूँ मैं तुरन्त ही यह उसका संदेश था
 
कितना मैंने रोका ख़ुद को कितनी देर न चाहा
पर उसके अनुरोध ने, कोई शेष न छोड़ी राह
हाथों ने मेरे झोंक दिया मेरी ख़ुशी को आग में
प्रेमपत्र वह लील लिया सुर्ख़ लपटों के राग ने
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एक वर्ष पहले

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