आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

Rajesh Reddy ki ghazal: घर से निकले थे हौसला कर के

उर्दू अदब
                
                                                         
                            घर से निकले थे हौसला कर के
                                                                 
                            
लौट आए ख़ुदा ख़ुदा कर के

दर्द-ए-दिल पाओगे वफ़ा कर के
हम ने देखा है तजरबा कर के

लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात
हम चले दिल को रहनुमा कर के

किस ने पाया सुकून दुनिया में
ज़िंदगानी का सामना कर के

ज़िंदगी तो कभी नहीं आई
मौत आई ज़रा ज़रा कर के

20 घंटे पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर