लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
कैसे दूर करूँ ये उदासी, बता दे कोई
लगा के सीने से मुझको, काश रुला दे कोई
मेरी दोस्त, जानना ही चाहती हो तो सुनो, बारिश के बाद
तार पर टंगी आखिरी बूंद से पूछना क्या होता है अकेलापन
मैं एक मुसाफ़िर था तुझसे मिलने से पहले,
लेकिन अब मैं एक तन्हा सफ़र हूँ तेरे जाने के बाद!
'समय' न लगाओ तय करने में, आप को करना क्या है
वरना 'समय' तय कर लेगा कि, आपका क्या करना है
चन्द खोटे सिक्के जो कभी चले नहीं बाजार में
वो भी कमियाँ खोज रहे हैं आज मेरे किरदार में
भीड़ का हिस्सा बनूँ यह मेरी फ़ितरत नहीं
मेरी आदत है अपने काफ़िले ख़ुद बनाने की
सबके दिलों में धड़कना ज़रूरी नहीं होता साहब
कुछ लोगों की आंखों में खटकने का भी एक अलग मज़ा है
(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
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