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आज का शब्द: संवरण और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता 'पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है'

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हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है - संवरण जिसका अर्थ है - 1. दूर करना; हटाना 2. बंद करना 3. ढकना 4. पसंद करना। कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। 

पत्रोत्कंठित, जीवन का विष बुझा हुआ है
आशा का प्रदीप जलता है हृदय-कुंज में,
अंधकार पथ एक रश्मि से सुझा हुआ है।
दिङ्निर्णय ध्रुव से जैसे नक्षत्र-पुंज में।
लीला का संवरण-समय फूलों का जैसे
फलों फले या झरे अफल, पातों के ऊपर
सिद्ध योगियों जैसे या साधारण मानव,
ताक रहा है भीष्म शरों की कठिन सेज पर।
स्निग्ध हो चुका है निदाघ, वर्षा भी कर्षित,
कल शारद कल्य की, हैम लोमों आच्छादित,
शिशिर भिद्य, बौरा वसंत आमों आमोदित,
बीत चुका है दिक्चुंबित चतुरंग, काव्य, गति,
यतिवाला, ध्वनि, अलंकार, रस, राग बंध के
वाद्य-छंद के रणित गणित छुट चुके हाथ से—
क्रीड़ाएँ व्रीणा में परिणत। मल्ल-भल्ल की
मारें मूर्छित हुईं। निशाने चूक गए हैं।
झूल चुकी है खाल—ढाल की तरह तनी थी।
पुनः सवेरा एक और फेरा है जी का।

21 घंटे पहले

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