आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

वसीम बरेलवी: वो मेरे बालों में यूँ उँगलियाँ फिराता था

waseem barelvi famous ghazal wo mere balon mein yoon ungliyan phirata tha
                
                                                         
                            


वो मेरे बालों में यूँ उँगलियाँ फिराता था
कि आसमाँ के फ़रिश्तों को प्यार आता था

उसे गुलाब की पत्ती ने क़त्ल कर डाला
वो सब की राहों में काँटे बहुत बिछाता था

तुम्हारे साथ निगाहों का कारोबार गया
तुम्हारे बा'द निगाहों में कौन आता था

सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थे
घरों का ज़िक्र तो रस्ते में छूट जाता था

2 दिन पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर