{"_id":"681b22b4db67efa953095dd1","slug":"kundali-me-gaj-kesari-raj-yog-know-benefits-and-impact-on-life-2025-05-07","type":"story","status":"publish","title_hn":"Rajyog: कुंडली में गजकेसरी राजयोग बनने पर व्यक्ति बनता है धनवान और मिलती है प्रसिद्धि","category":{"title":"Predictions","title_hn":"बोले तारे","slug":"predictions"}}
Rajyog: कुंडली में गजकेसरी राजयोग बनने पर व्यक्ति बनता है धनवान और मिलती है प्रसिद्धि
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Wed, 07 May 2025 02:37 PM IST
विज्ञापन
सार
जिन जातकों की कुंडली में गजकेसरी राजयोग बनता है उनसे जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक संपन्नता का वास होता है।

कुंडली में गजकेसरी राजयोग
- फोटो : adobe stock

Trending Videos
विस्तार
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की युति और इससे बनने वाले राजयोग का विशेष महत्व होता है। जातक के जन्म के समय उसकी कुंडली में ग्रहों की स्थितियों के आधार पर कई तरह के राजयोगों का निर्माण होता है। व्यक्ति के जीवन में राजयोग का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ राजयोग ऐसे होते हैं जिनके कुंडली में बनने के कारण जातक के जीवन में बड़ा शुभ बदलाव देखने को मिलता है। ऐसे जातकों का जीवन रंक से राजा बन जाता है। कुंडली में राजयोग होने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन, यश और वैभव की कोई भी कमी नहीं रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में वैसे तो कई तरह के राजयोग बनते हैं,इन्हीं योग में एक राजयोग गजकेसरी राजयोग होता है। आइए जानते हैं कुंडली में गजकेसरी राजयोग कैसे बनता है और इसका व्यक्ति के जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ता है।
कैसे बनता है गजकेसरी राजयोग
गजकेसरी राजयोग देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की युति से बनता है। गजकेसरी राजयोग का अर्थ होता है हाथी और सिंह। हाथी जहां संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता वहीं सिंह को साहस, शक्ति और निडरता का प्रतीक माना जाता है। गजकेसरी राजयोग के बनने पर जातक के जीवन में खुशियां, समृद्धि और विशेष शुभ प्रभाव पड़ता है। दरअसल गुरु को ज्योतिष शास्त्र में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की युति जिस भाव और राशि में होती है तो वहां गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है। कुंडली के केंद्र भाव यानी पहला, चौथा, सातवां और दसवें भाव में गुरु-चंद्रमा की युति होती है या फिर चंद्रमा पर गुरु की द्दष्टि पड़े तो गजकेसरी योग बनता है। इसके अलावा जब गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि यानी कर्क राशि में चंद्रमा के साथ हो तो गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है। जिन जातकों के जन्म के समय यह राजयोग बनता है वे बहुत ही भाग्यशाली, कुशल वक्ता और अपने जीवन में उच्च पदों पर आसीन होता है। इस योग में जन्में लोगों को समाज में खूब मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
गजकेसरी राजयोग बनने के फायदे
- गजकेसरी राजयोग की गिनती शुभ योगों में होती है। जब किसी जातक की कुंडली के पहले भाव यानी लग्न में इस राजयोग का निर्माण होता है तो व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पद की प्राप्ति और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
- जब कुंडली के चौथे भाव यानी सुख के भाव में गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है तब ऐसा व्यक्ति किसी बड़े पदों पर आसीन होता है। ऐसे लोगों का जीवन एक राजा और मंत्री की तरह होता है जो जीवन के हर भौतिक सुख-सुविधाओं का भोग करता है।
- जब किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में गुरु-चंद्रमा की युति होती है। तो व्यक्ति धनवान और सफल व्यापारी होती है।
- जब गजकेसरी राजयोग व्यक्ति की जन्म कुंडली के दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति को करियर में ऊंचा मुकाम मिलता है। ऐसे व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।
- जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में गजकेसरी राजयोग बनता है तो व्यक्ति खूब सारा धन अर्जित करता है और ऐसे लोगों का संबंध उच्च आधिकारियो से ज्यादा होता है।
- जन्म कुंडली के 12 भाव में गजकेसरी राजयोग बनने पर व्यक्ति को विदेश का सुख प्राप्त होता है। ऐसा व्यक्ति तपस्वी,साधक और बुद्धिमान होता है।
विज्ञापन
Trending Videos
कैसे बनता है गजकेसरी राजयोग
गजकेसरी राजयोग देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की युति से बनता है। गजकेसरी राजयोग का अर्थ होता है हाथी और सिंह। हाथी जहां संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता वहीं सिंह को साहस, शक्ति और निडरता का प्रतीक माना जाता है। गजकेसरी राजयोग के बनने पर जातक के जीवन में खुशियां, समृद्धि और विशेष शुभ प्रभाव पड़ता है। दरअसल गुरु को ज्योतिष शास्त्र में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की युति जिस भाव और राशि में होती है तो वहां गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है। कुंडली के केंद्र भाव यानी पहला, चौथा, सातवां और दसवें भाव में गुरु-चंद्रमा की युति होती है या फिर चंद्रमा पर गुरु की द्दष्टि पड़े तो गजकेसरी योग बनता है। इसके अलावा जब गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि यानी कर्क राशि में चंद्रमा के साथ हो तो गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है। जिन जातकों के जन्म के समय यह राजयोग बनता है वे बहुत ही भाग्यशाली, कुशल वक्ता और अपने जीवन में उच्च पदों पर आसीन होता है। इस योग में जन्में लोगों को समाज में खूब मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
गजकेसरी राजयोग बनने के फायदे
- गजकेसरी राजयोग की गिनती शुभ योगों में होती है। जब किसी जातक की कुंडली के पहले भाव यानी लग्न में इस राजयोग का निर्माण होता है तो व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पद की प्राप्ति और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
- जब कुंडली के चौथे भाव यानी सुख के भाव में गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है तब ऐसा व्यक्ति किसी बड़े पदों पर आसीन होता है। ऐसे लोगों का जीवन एक राजा और मंत्री की तरह होता है जो जीवन के हर भौतिक सुख-सुविधाओं का भोग करता है।
- जब किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में गुरु-चंद्रमा की युति होती है। तो व्यक्ति धनवान और सफल व्यापारी होती है।
Budhaditya Rajyoga: आज से शुरु हो रहा है बुधादित्य राजयोग, मेष समेत इन 5 राशियों के जीवन में आएगी खुशहाली
- अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली के नवम भाव में गजकेसरी राजयोग बनता है तो जातक को हमेशा अपने जीवन में भाग्य का साथ मिलता है।- जब गजकेसरी राजयोग व्यक्ति की जन्म कुंडली के दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति को करियर में ऊंचा मुकाम मिलता है। ऐसे व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।
- जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में गजकेसरी राजयोग बनता है तो व्यक्ति खूब सारा धन अर्जित करता है और ऐसे लोगों का संबंध उच्च आधिकारियो से ज्यादा होता है।
- जन्म कुंडली के 12 भाव में गजकेसरी राजयोग बनने पर व्यक्ति को विदेश का सुख प्राप्त होता है। ऐसा व्यक्ति तपस्वी,साधक और बुद्धिमान होता है।