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Mangal Gochar 2025: मंगल का धनु राशि में गोचर, जानें मेष राशि वालों पर प्रभाव

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Mon, 08 Dec 2025 04:50 PM IST
सार

Mangal Gochar 2025: 07 दिसंबर को भूमिपुत्र मंगल अपनी वृश्चिक राशि की यात्रा को विराम देते हुए धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं। मंगल के गोचर का मेष राशि वालों पर कैसा पड़ेगा। आइए जानते हैं।

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Mangal Gochar 2025 Rashi Parivartan Mars Transit in Sagittarius Effects on Aries Zodiac Signs
मंगल गोचर 2025 का मेष राशि पर प्रभाव - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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मंगल का धनु राशि में गोचर

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वैदिक ज्योतिष में मंगल को साहस, उत्साह, जोश, पराक्रम, संघर्ष और युद्ध का कारक ग्रह माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह का प्रभाव रहता है। उनके अंदर हिम्मत, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता होती है। कुंडली में मंगल के मजबूत होने पर जीवन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करने में व्यक्ति सक्षम होता है। ऐसे लोग किसी भी काम में जल्दी से हार नहीं मानते हैं और ये अपने लक्ष्यों पर तेजी से कदम बढ़ाते चले जाते हैं। मंगल किसी एक राशि में करीब  45 दिनों तक रहते हैं फिर इसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। आपको बता दें मंगल 7 दिसंबर 2025 को धनु राशि में गोचर कर चुके हैं। मंगल के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों पर होगा। ऐसे में आइए जानते हैं मंगल के धनु राशि में गोचर करने से मेष राशि पर किस तरह का प्रभाव देखने को मिलेगा।

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मेष राशि पर प्रभाव
मेष राशि के जातकों के लिए मंगल पहले और आठवें भाव के स्वामी होते हैं। अब 7 दिसंबर को मंगल का धनु राशि में गोचर करने से मेष राशि के लिए नवम में गोचर हुआ है। नवम भाव को भाग्य का भाव कहते हैं। भाग्य भाव में मंगल साहसी स्वभाव, यात्राएं, पिता से मतभेद को बढ़ता है। ऐसे में इस भाव में मंगल के गोचर से व्यक्ति कर्म के द्वारा भाग्य को बनाता है। ऐसे में मंगल के धनु राशि में गोचर करने से आपको मिले-जुले परिणाम की प्राप्ति होगी। धार्मिक यात्राओं से आपको लाभ मिलेगा। जिससे आपको मानसिक शांति की प्राप्ति होगी। इस दौरान कामकाज के सिलसिले में आपको लंबी यात्रा या विदेश जाने का अवसर मिल सकता है। जो लोग व्यापार में हैं  उनको कुछ नुकसान हो सकता है। धन खर्चो में वृद्धि के योग हैं। 

ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में  मंगल ग्रह को साहस, पराक्रम, ऊर्जा, भूमि, रक्त, भाई, युद्ध, सेना और भाई कारक होता है। मंगल को दो राशियों क स्वामित्व प्राप्त है। ये दो राशियां हैं मेष और वृश्चिक। राशिचक्र में इन्हें 1 और 8 अंक से दर्शाया जाता है। मंगल मकर राशि में उच्च के होते हैं जबकि कर्क राशि में ये नीच के हो जाते हैं। मंगलदेव को मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल अच्छे होते हैं ऐसे जातक स्वभाव से निडर, साहसी, पराक्रमी होते है, वहीं जिन जातकों की कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में होते हैं जातक के जीवन में तरह-तरह की कठिनाईयां आती हैं। 

- वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल को सातवीं पूर्ण द्दष्टि के अलावा चौथे और आठवीं विशेष द्दष्टि प्राप्त है। 
- कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह और दांपत्य जीवन में तरह-तरह की परेशानियां आती हैं। मंगल दोष होने पर विवाह में देरी होती है।
- अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर मंगल पहले, चौथे, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठे हुए हो तो कुंडली में मांगलिक दोष  होता है।
- जिन व्यक्तियों के लग्न में मंगल ग्रह होते हैं वे सुंदर, तेज और ऊर्जावान होते हैं। लग्न में मंगल के होने पर व्यक्ति बहुत ही निडर, साहसी, खतरों का सामना करने वाला और पराक्री होता है। ऐसे व्यक्ति गुस्से वाला होता है और किसी भी तरह के दबाव में जल्दी नहीं आता है। ऐसे जातकों का करियर क्षेत्र सेना और पुलिस में होता है। 
- अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल बली होता है तो व्यक्ति के अंदर ऊर्जा और निडरता रहती है। ऐसा व्यक्ति अपने भाई-बहनों को तरक्की भी दिलाते हैं। 
- कुंडली में मंगल के कमजोर होने पर व्यक्ति किसी न किसी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। मंगल के कमजोर या पीड़ित होने पर व्यक्ति के शत्रु हावी होते हैं। इसके अलावा कर्ज और जमीन संबंधी विवादों का सामना भी करना पड़ता है। 
- मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी होते हैं। मेष राशि में मंगल ताकतवर हो जाते हैं। इस राशि में वो मूल त्रिकोण कहलाते हैं वहीं वृश्चिक राशि में स्वराशि के होते हैं। तीसरे, छठे और एकादश भाव में विराजमान मंगल को बेहद बलवान माना गया है।
- मंगल चंद्रमा, गुरु और बुध के साथ बेहद शुभ परिणाम देते हैं लेकिन सूर्य, राहु और शनि के साथ ये अशुभ हो जाते हैं।
- शुक्र के साथ मंगल की युति होने पर व्यक्ति में चरित्र दोष होता है। 
- दशम भाव में सूर्य-मंगल-राहु की युति से जातक को कोई बड़ा पद दिलाने में कामयाब होते हैं। दशम भाव में मंगल सबसे अधिक बलवान होकर सबको साथ लेकर के चलते हैं। 
- लग्न और सप्तम भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति अंहकारी होता है। 
- कुंडली के दूसरे और आठवें भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति अपने परिवार को ज्यादा सुख नहीं दे पाता है।

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