Anil Ambani: 42 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ कभी दुनिया के छठे अमीर कारोबारी थे अनिल, अब इस वजह से चर्चा में
अनिल अंबानी अपनी कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस लि. (आरएचएफएल है) से धन की हेराफेरी को लेकर चर्चा में हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 3,742 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया। अगले ही वित्त वर्ष यानी 2018-19 में यह बढ़कर 8,670 करोड़ रुपये हो गया। सेबी के मुताबिक, अब भी इस कंपनी से 6,930 करोड़ रुपये लेने हैं।
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रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह यानी एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। 42 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर कारोबारी रहे अनिल आज दिवालिया हो गए हैं। उनके पास न तो वह रुतबा है और न ही कर्जदारों से पीछा छुड़ाने के लिए फंड। अब पूंजी बाजार नियामक सेबी ने धोखाधड़ी के मामले में अनिल समेत 25 लोगों पर 624 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोक दिया है। शायद भारतीय कारोबारी क्षेत्र में यह पहला मौका है, जब इतना बड़ा जुर्माना बाजार नियामक ने लगाया हो।
दरअसल, अनिल अपनी कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस लि. (आरएचएफएल है) से धन की हेराफेरी को लेकर चर्चा में हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 3,742 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया। अगले ही वित्त वर्ष यानी 2018-19 में यह बढ़कर 8,670 करोड़ रुपये हो गया। सेबी के मुताबिक, अब भी इस कंपनी से 6,930 करोड़ रुपये लेने हैं। अनिल की वित्तीय परेशानियां नई नहीं हैं। फरवरी, 2020 में कानूनी और वित्तीय चुनौतियों के बीच यूके की एक अदालत ने उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया था।
2008 में 42 अरब डॉलर की दौलत के मालिक रहे अनिल की संपति्तयों में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। उनकी कारोबारी यात्रा उल्लेखनीय ऊंचाइयों और विनाशकारी स्थितियों से होकर गुजरी है।
1980 के दशक में शुरू हुआ उत्थान
कारोबारी दुनिया में अनिल का उत्थान 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी को 1986 में स्ट्रोक पड़ा। अनिल ने रिलायंस के वित्तीय लेनदेन का रोजाना का प्रबंधन संभाला। 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने संयुक्त रूप से रिलायंस समूह का नेतृत्व किया।
- 2005 में नियंत्रण को लेकर विवादों के कारण भाइयों के बीच विभाजन हो गया। मुकेश ने तेल और पेट्रोकेमिकल व्यवसायों पर नियंत्रण बरकरार रखा। अनिल ने दूरसंचार, बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं सहित नए उद्यमों को संभाला।
- इन्फ्रा, रक्षा व मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनिल के प्रयासों को सीमित सफलता मिली। यूपी के दादरी में गैस-आधारित बिजली परियोजना स्थापित करने के उनके प्रयास को तब झटका लगा, जब 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया।
550 करोड़ देकर मुकेश ने जेल जाने से बचाया
वित्तीय संकट तब गहरा गया, जब उनकी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर भारी कर्ज जमा होने लगा। 2019 में कंपनी को दिवालिया कार्यवाही में धकेल दिया गया था। उसी वर्ष आरकॉम के एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये के भुगतान में विफल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनिल को जेल में डालने की धमकी दी। मुकेश अंबानी ने भाई को जेल जाने से बचाने के लिए मां कोकिलाबेन अंबानी की अपील पर 550 करोड़ की मदद की।
बढ़ती गईं चुनौतियां चीनी बैंकों ने किया केस
कानूनी चुनौतियां तब पैदा हुईं, जब तीन चीनी बैंकों ने 68 करोड़ डॉलर के कर्ज डिफॉल्ट पर लंदन की कोर्ट में अनिल पर केस किया। 2021 में रिलायंस कैपिटल ने 24,000 करोड़ के बॉन्ड पर चूक के बाद दिवालिया प्रक्रिया के लिए याचिका दायर की। मुंबई की पहली मेट्रो लाइन के निर्माण में अपनी भूमिका निभाने वाली रिलायंस इन्फ्रा को भी वित्तीय तनाव झेलना पड़ा।
सबसे बड़ा आईपीओ ला मचाया था धमाल
अनिल ने जनवरी, 2008 में रिलायंस पावर का 11,563 करोड़ का सबसे बड़ा आईपीओ लाकर धमाल मचाया था। 405 से 450 रुपये के भाव पर आईपीओ को निवेशकों ने हाथों हाथ लिया। यह कुल 73 गुना भरा। इसमें खुदरा निवेशकों ने 15 गुना ज्यादा पैसा लगाया। लिस्टिंग पर यह 547 रुपये पर खुला था। पर, यहीं से अनिल की किस्मत भी पलटी खाने लगी।