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Apple: भारी टैक्स से बचने के लिए कानून में बदलाव की लॉबिंग कर रही एपल, भारत सरकार से चल रही बातचीत
अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: शिवम गर्ग
Updated Thu, 16 Oct 2025 06:17 AM IST
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सार
एपल भारत में आयकर कानून में बदलाव की पैरवी कर रहा है ताकि अनुबंधित निर्माताओं को दी जाने वाली आईफोन मशीनरी पर टैक्स न देना पड़े। कंपनी का कहना है कि मौजूदा नियम उसकी विस्तार योजनाओं में बाधा बन रहे हैं।

एपल
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
एपल भारत में आयकर कानून में बदलाव करने की पैरवी कर रहा है। कंपनी अनुबंधित निर्माताओं को दी जाने वाली उच्च स्तरीय आईफोन मशीनरी के स्वामित्व पर टैक्स नहीं देने के लिए यह पैरवी कर रही है। एपल का मानना है कि वर्तमान नियम भविष्य की उसकी विस्तार योजना में बाधा बन सकता है।

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एपल भारत में मौजूदगी बढ़ा रही है। यह चीन से आगे बढ़कर विविधता ला रही है। काउंटरपॉइंट के अनुसार, 2022 से भारतीय बाजार में आईफोन का हिस्सा दोगुना होकर 8 फीसदी हो गया है। चीन अब भी वैश्विक आईफोन शिपमेंट का 75 फीसदी हिस्सा है। भारत का हिस्सा 2022 से चार गुना बढ़कर 25 फीसदी हो गया है। एपल की अनुबंध निर्माता फॉक्सकॉन और टाटा ने पांच संयंत्र खोलने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं, लेकिन इनमें से लाखों डॉलर का खर्च आईफोन असेंबली के लिए महंगी मशीनें खरीदने में चला जाता है। एपल भारत में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विदेशी स्वामित्व से संबंधित कानून को बदलने के लिए भारत सरकार को राजी किए बिना व्यावसायिक प्रथाओं में बदलाव करती है, तो उसे अरबों डॉलर के अतिरिक्त करों का सामना करना पड़ सकता है।
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भारत में चीन से अलग कानून
चीन में आईफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें एपल खरीदती है। उन्हें अपने अनुबंधित निर्माताओं को देती है। उन पर कोई कर नहीं लगता, भले ही वह उनका मालिक हो। लेकिन भारत में यह संभव नहीं है, क्योंकि आयकर अधिनियम एपल के ऐसे स्वामित्व को तथाकथित व्यावसायिक संबंध मानता है, जिससे आईफोन से होने वाले मुनाफे पर भारतीय कर लगेगा।
भारतीय अधिकारियों के साथ की है बातचीत
एपल के अधिकारियों ने हाल में भारतीय अधिकारियों के साथ कानून में बदलाव करने के लिए बातचीत की है। उन्हें डर है कि मौजूदा कानून उनके भविष्य के विकास में बाधा डाल सकता है। अनुबंध निर्माता एक सीमा से आगे पैसा नहीं लगा सकते। अगर पुराने कानून में बदलाव किया जाता है, तो एपल के लिए विस्तार करना आसान हो जाएगा। इससे भारत वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकता है।
सरकार सतर्क, कर रही विचार
एक अधिकारी ने कहा, एपल को प्रभावित करने वाले कराधान नियमों पर चर्चा जारी है। सरकार सतर्क है क्योंकि कानून में बदलाव विदेशी कंपनी पर कर लगाने के उसके संप्रभु अधिकार को कम कर सकता है। भारत को निवेश की जरूरत है। इसका समाधान तलाशना होगा।
इस आधार पर होगी आय की गणना
अगर एपल की गतिविधियां एक व्यावसायिक संबंध बनाती हैं तो वैश्विक राजस्व को भारत में होने वाली आय की गणना के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे अरबों डॉलर का कर जोखिम हो सकता है। ताइवान की फॉक्सकॉन भारत में एपल की सबसे बड़ी अनुबंध निर्माता कंपनी है।