UPI: चैट एंड पे और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से यूपीआई को मिलेगी नई रफ्तार, वर्ल्डलाइन की रिपोर्ट में दावा
वर्ल्डलाइन की रिपोर्ट के अनुसार यूपीआई का अगला विकास चरण अब बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और संवादात्मक ‘चैट एंड पे’ जैसे फीचर्स से संचालित होगा। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन पर चल रहे पायलट प्रोजेक्ट्स उपयोगकर्ता अनुभव को नए स्तर पर ले जाएंगे और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में डिजिटल भुगतान की स्वीकृति को बढ़ाएंगे।
विस्तार
भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का अगला विकास चरण अब बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और संवादात्मक ‘चैट एंड पे’ जैसे फीचर्स से संचालित होगा। वैश्विक पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर वर्ल्डलाइन की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
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यूपीआई की पहुंच भारत से बाहर बढ़ रही है
रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई के विस्तार की अगली लहर पहले से ही दिखाई देने लगी है। सिंगापुर और यूएई जैसे वैश्विक कॉरिडोर के माध्यम से अब यूपीआई की पहुंच भारत से बाहर भी बढ़ रही है। वहीं, चैट-आधारित भुगतान प्रक्रियाएं और यूपीआई ऑटोपे जैसी सुविधाएं मोबाइल ऐप्स के भीतर लेनदेन को और सहज बना रही हैं।
नई तकनीक उपयोगकर्ता अनुभव को नए स्तर पर ले जाएंगे
वर्ल्डलाइन ने कहा कि बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन पर चल रहे पायलट प्रोजेक्ट्स उपयोगकर्ता अनुभव को नए स्तर पर ले जाएंगे और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में डिजिटल भुगतान की स्वीकृति को बढ़ाएंगे।
वर्ल्डलाइन का मानना है कि इन नई तकनीकों के चलते आवर्ती भुगतान और सीमापार लेनदेन को आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाना आसान होगा। इससे न केवल भारत में डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ेगा, बल्कि यूपीआई वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में स्थापित होगा। आवर्ती भुगतान , जिसे सदस्यता भुगतान भी कहा जाता है, समय-समय पर ग्राहक के क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते से स्वचालित रूप से वसूला जाता है।
पहली छमाही यूपीआई लेनदने का आंकड़ा
भारत का यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र दो प्राथमिक प्रवाहों द्वारा संचालित होता है, पीयर-टू-पीयर (पी2पी) स्थानान्तरण और पीयर-टू-मर्चेंट (पी2एम) भुगतान। 2025 की पहली छमाही (प्रथम छमाही) के दौरान, पी2पी लेनदेन 31 प्रतिशत बढ़कर 39.35 अरब हो गया, जबकि पी2एम लेनदेन 37 प्रतिशत बढ़कर 67.01 अरब हो गया।
व्यापारी भुगतान की ओर जाते उपभोक्ता
व्यापारी भुगतान की ओर यह बदलाव दर्शाता है कि कैसे किराना, दवा की दुकानें, खाद्य एवं पेय पदार्थ, और उपयोगिताओं जैसे क्षेत्रों ने क्यूआर-आधारित भुगतानों को सामान्य बना दिया है। हालांकि इससे औसत लेन-देन का आकार छोटा हो गया है, लेकिन इसने यूपीआई की समग्र पहुंच का उल्लेखनीय विस्तार किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विकास के अगले कारकों में यूपीआई पर ऋण और छोटी ईएमआई शामिल होंगी।