Crisil Report: भारी बारिश और बाढ़ की वजह से फसलें हो रहीं बर्बाद, पंजाब और राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित
क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारी बारिश और बाढ़ देश के कई हिस्सों में फसलों को बर्बाद कर रही हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पंजाब और राजस्थान है। 2 सितंबर तक, कुल वर्षा दीर्घकालिक औसत से लगभग सात प्रतिशत अधिक रही।

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लगातार हो रही भारी बारिश और बाढ़ ने देश के कई हिस्सों में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार पंजाब और राजस्थान में फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं अन्य राज्यों में इसका असर स्थानीय स्तर पर ही है। इसमें कहा गया है कि अगले कुछ हफ्ते कृषि क्षेत्र के लिए बेहद अहम होंगे।

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सितंबर का वर्षा पैटर्न है फसलों के लिए महत्वपूर्ण
क्रिसिल ने कहा कि सिंतबर का वर्षा पैटर्न महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भारतीय मौसम विभाग ने उत्तरी और मध्य भारत में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया है। यह धान, कपास, सोयाबीन, मक्का और प्याज के प्रमुख विकास चरणों के साथ मेल खाता है। इससे यह महीना फसलों के स्वास्थ्य और उपज के लिए महत्वपूर्ण है।
2 सितंबर तक, कुल वर्षा दीर्घकालिक औसत से लगभग सात प्रतिशत अधिक रही। झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग 76 प्रतिशत है, कृषि और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पंजाब है सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य
पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा, जहां अगस्त में बारिश सामान्य से 74 प्रतिशत ज्यादा रही। राज्य की 42.4 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से लगभग 70,000 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ में डूब गई। धान, गन्ना और कपास जैसी फसलें कई जिलों में डूब गईं।
रिपोर्ट में जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है
- धान में, कल्ले निकलने के दौरान जलभराव से पत्तियां पीली पड़ सकती हैं, विकास अवरुद्ध हो सकता है और उपज में 5 से 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
- गन्ने में जलमग्नता के कारण लाल सड़न रोग का खतरा बढ़ गया है। इससे गन्ने और चीनी की पैदावार दोनों में 5 से 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है व रस की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
- कपास, जो अभी फसल पकने की अवस्था में है, को फूल गिरने और गुलाबी इल्ली के संक्रमण का खतरा है। इससे उपज में 15-20 प्रतिशत की कमी आ सकती है और रेशे की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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किन राज्यों में हुआ कितान नुकसान?
- हरियाणा में, पंजाब से सटे सिरसा, फतेहाबाद और जींद जैसे सीमावर्ती जिलों में, अतिवृष्टि के कारण फसल संकट की सूचना मिली है। इन क्षेत्रों में धान के खेतों में समय से पहले फूल और फलियां दिखाई दीं, जो कम उत्पादन का संकेत देती हैं। टमाटर की फसल पर मामूली असर पड़ा है। वहीं जलभराव के कारण अगस्त में गाजर की बुवाई में देरी हुई है।
- राजस्थान में भारी वर्षा के कारण अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, जयपुर और दौसा में बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग और उड़द की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ।
- उत्तर प्रदेश में यमुना और गंगा नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के किनारे स्थानीय स्तर पर क्षति देखी गई।
- इस बीच, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में अलग-अलग प्रभाव देखे गए। स्थानीय बाढ़ ने सीमित तनाव पैदा किया, लेकिन कुल मिलाकर धान, मक्का और कपास पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। हालांकि, फूल झड़ने के कारण उड़द और मूंग जैसी दालों की पैदावार में गिरावट आई है।
खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना
क्रिसिल ने कहा कि अनियमित वर्षा से भी मुद्रास्फीति का खतरा पैदा होता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों का भार 47 प्रतिशत है व ग्रामीण परिवारों के खर्च में इसका हिस्सा 47 प्रतिशत, जबकि शहरी परिवारों के खर्च में 40 प्रतिशत है। उत्पादन में और अधिक कमी से आपूर्ति पक्ष पर दबाव बढ़ सकता है।