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Patanjali: पतंजलि को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका, डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने पर रोक

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Thu, 03 Jul 2025 01:23 PM IST
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सार

दिल्ली हाईकोर्ट ने डाबर की याचिका पर पतंजलि के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि "पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश" "विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश" और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

Delhi HC restrains Patanjali from airing 'disparaging' ads against Dabur Chyawanprash
दिल्ली हाईकोर्ट, Delhi High Court - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोक दिया। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने डाबर की याचिका पर अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की।

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डाबर की ओर से दाखिल याचिका में पतंजलि पर क्या आरोप लगाए गए हैं?

याचिका में आरोप लगाया गया था कि "पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश" "विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश" और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है। पतंजलि के विज्ञापन में दावा किया गया है कि "किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश तैयार करने का ज्ञान नहीं है"- जो सामान्य अपमान है।

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याचिका में दावा किया गया है, "इसके अलावा, विज्ञापनों में (आयुर्वेदिक औषधि/दवा के संबंध में) गलत और भ्रामक बयान दिए गए हैं। इसमें डाबर च्यवनप्राश के साथ अपमानजनक तुलना की गई है।"

डाबर की ओर से अधिवक्ता जवाहर लाला और मेघना कुमार उपस्थित हुए। याचिका में आगे दावा किया गया कि विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश के संबंध में "साधारण" उपसर्ग का प्रयोग किया गया है, जो दर्शाता है कि वे "निम्न" हैं।

विज्ञापन में यह भी "गलत" दावा किया गया कि अन्य सभी निर्माताओं को आयुर्वेदिक ग्रंथों और च्यवनप्राश तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए गए फार्मूले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस मामले में अदालत ने अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की है।

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भ्रामक विज्ञापन केस में कोर्ट से माफी मांग चुके हैं रामदेव, कब क्या विवाद हुआ? जानें

  • अगस्त 2022:  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पतंजलि पर आरोप लगाया कि वह कोविड और दूसरी बीमारियों के इलाज के झूठे दावे कर रही है।
  • नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया, लेकिन आदेश के बाद भी कंपनी ने प्रचार बंद नहीं किया।
  • 27 फरवरी 2024: कोर्ट ने पतंजलि को फिर फटकार लगाई और बाबा रामदेव-आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया।
  • मार्च-अप्रैल 2024: कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी और सख्त लहजे में कहा-आदेश न मानने पर सजा हो सकती है।
  • 2025: बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट में माफीनामा दिया। इसके बाद केस बंद कर दिया गया।

शरबत विवाद में भी पतंजलि की हो चुकी है किरकिरी

दिल्ली हाईकोर्ट इससे पहले बाबा रामदेव के हमदर्द कंपनी के शरबत पर 'शरबत जिहाद' वाली विवादित टिप्पणी मामले पर नाराजगी जाहिर कर चुका है। कोर्ट ने रामदेव को हमदर्द के उत्पादों के बारे में कोई भी बयान जारी करने से मना किया था। बीते एक मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि योग गुरु बाबा रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं। रामदेव को शरबत जिहाद बयान पर प्रथम दृष्टया कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी पाया। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव को हमदर्द के उत्पादों के बारे में भविष्य में कोई बयान जारी न करने या वीडियो साझा न करने का आदेश दिया था


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