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Elon Musk: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट लाने की तैयारी में 'स्टारलिंक' को मिली मंजूरी, मिलेगी तेज इंटरनेट सेवा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 07 May 2025 11:23 PM IST
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सार

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को सरकार से हरी झंडी मिल गई है। बता दें कि, इससे पहले यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को ये लाइसेंस मिल चुका है।

DoT- The government has issued Letter of Intent to Starlink for satcom, News in Hindi
भारत में 'स्टारलिंक' को मिली मंजूरी - फोटो : ANI
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सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए सरकार ने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को सशर्त मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी सरकार की नई सख्त शर्तें लागू होने के ठीक एक दिन बाद मिली है, जिसमें डाटा स्थानीयकरण, सुरक्षा जांच और स्थानीय विनिर्माण जैसी अनिवार्यताएं शामिल हैं।
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दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी शर्तों को मानने के बाद स्टारलिंक को लेटर ऑफ इंटेंट यानी शुरुआती मंजूरी दे दी है। 2022 में कंपनी ने जीएमपीसीएस लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाई सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) लाइसेंस मिलने की प्रक्रिया का अंतिम चरण भारत में पार करना है। कंपनी को सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का डेमो करना होगा। स्टारलिंक को देशभर में ग्राउंड स्टेशन लगाने होंगे, जो सैटेलाइट्स को स्थानीय नेटवर्क से जोड़ेंगे। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन व प्राधिकरण केंद्र से नेटवर्क क्षमता की मंजूरी भी लेनी होगी। मार्च में स्टारलिंक की मूल कंपनी स्पेसएक्स ने एयरटेल व जियो के साथ साझेदारी की थी, ताकि उनके स्टोर्स के जरिये स्टारलिंक उपकरण बेचे जा सकें व सेवाओं को स्कूल, अस्पताल व बिजनेस सेंटर तक पहुंचाया जा सके। 
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क्या है सैटेलाइट इंटरनेट
सैटेलाइट इंटरनेट में एक सैटेलाइट डिश और मॉडेम होते हैं। जब यूजर्स कोई वेबसाइट खोलता है तो यह रिक्वेस्ट पहले सैटेलाइट डिश से एक सैटेलाइट तक भेजा जाता है। रिक्वेस्ट को धरती पर स्थित नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर पर भेजा जाता है। यह सेंटर इंटरनेट से जुड़ा होता है। वहां से जरूरी डाटा एकत्र कर सैटेलाइट के जरिये वापस यूजर्स की डिवाइस तक भेजा जाता है। यह डाटा यूजर्स की डिश पर आता है फिर मॉडेम इसे डिकोड करता है व इसे यूजर्स के डिवाइस तक पहुंचाता है।  

स्टारलिंक की सेवा से यह होगा फायदा
  • गांवों में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई मिलेगी। 
  • किसान मंडी और मौसम की जानकारी ले पाएंगे।  
  • ग्रामीण क्लिनिक ऑनलाइन डॉक्टर से जुड़ सकेंगे।  
  • गांवों की जो आबादी अभी इंटरनेट पहुंच से दूर है, वहां पर सेवा मिलेगी।  
  • जहां टावर और केबल नहीं हैं, वहां भी इंटरनेट सेवा मिलेगी।

आंधी, बारिश और ओले में भी ठप नहीं होगी सेवा
अत्यधिक ठंड, गर्मी, ओले, भारी बारिश और यहां तक कि आंधी को भी झेलने के साथ स्टारलिंक कठोर और गंभीर मौसम में दूरदराज के इलाकों में भी कनेक्ट रह सकता है। यह खास तौर पर ग्रामीण और कम सेवा वाले इलाकों के लिए उपयुक्त है, जहां फाइबर या केबल जैसी पारंपरिक इंटरनेट सुविधा नहीं या कम हैं। पारंपरिक उपग्रह सेवाओं के विपरीत स्टारलिंक दुनिया के सबसे बड़े निम्न पृथ्वी कक्षा या एलईओ नक्षत्र उपग्रहों (पृथ्वी से 550 किमी ऊपर) का उपयोग करता है। एलईओ उपग्रहों का यह नक्षत्र अभी 7,000 है लेकिन आगे चलकर इसके 40,000 से अधिक होने की संभावना है।

आगे ऐसे बढ़ेगी प्रक्रिया
स्टारलिंक को समझौते की शर्तों पर करना होगा व लाइसेंस प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रवेश शुल्क का भुगतान करना होगा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण सैटकॉम स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन के मूल्य निर्धारण पर अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के कगार पर है और इसकी घोषणा किसी भी दिन हो सकती है।

क्या है स्टारलिंक और कैसे काम करता है?
स्टारलिंक, अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जिसे 2002 में दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने शुरू किया था। स्टारलिंक का मकसद दुनिया के हर कोने में हाई-स्पीड, कम लेटेंसी वाला इंटरनेट पहुंचाना है, वो भी सैटेलाइट के जरिए।

यह भी पढ़ें - Space: 'अगले पांच वर्षों में 52 जासूसी उपग्रह लॉन्च करेगा इसरो', IN-SPACe प्रमुख पवन गोयनका का बयान

एलईओ सैटेलाइट से मिलेगा तेज इंटरनेट
स्टारलिंक बाकी पारंपरिक सैटेलाइट सेवाओं से अलग है। जहां आमतौर पर इंटरनेट देने वाले सैटेलाइट धरती से करीब 36,000 किलोमीटर दूर होते हैं (जियोस्टेशनरी ऑर्बिट), वहीं स्टारलिंक का नेटवर्क लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में है, जो सिर्फ 550 किलोमीटर ऊपर है। इस समय स्टारलिंक के पास 7,000 सैटेलाइट का नेटवर्क है, लेकिन आने वाले समय में इसे 40,000 सैटेलाइट तक बढ़ाने की योजना है। इस तकनीक से लोग न सिर्फ तेज इंटरनेट पा सकेंगे, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और स्ट्रीमिंग जैसी सुविधाएं भी बिना रुकावट इस्तेमाल कर सकेंगे।

ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट क्रांति की उम्मीद
स्टारलिंक की सेवाएं खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद मानी जा रही हैं, जहां अभी तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है, जैसे कि पहाड़ी, ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्र। सरकार को उम्मीद है कि इससे डिजिटल इंडिया अभियान को भी नया बल मिलेगा। अब स्टारलिंक को बाकी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, जैसे कि स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट और घरेलू साझेदारियों की तैयारी। उम्मीद है कि आने वाले महीनों में स्टारलिंक भारत में अपनी सेवा शुरू कर देगा।

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