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RBI Gold Reserve: रिजर्व बैंक के पास 9 लाख किलो सोना, जानिए कितना देश में और कितना रिजर्व विदेश में जमा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 29 Oct 2025 02:13 PM IST
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सार

RBI Gold Reserve: भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार उसके पास करीब आठ लाख 80 किलो सोना है। इसमें से अधिकतर सोना देश में है, जबकि कुछ सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड में है। देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मार्च 2025 के अंत तक 11.70 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2025 के अंत तक लगभग 13.92 प्रतिशत हो गया। आइए देश में सोने के भंडार से जुड़ी इस दिलचस्प रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ें।

Gold Reserve Bank: Reserve Bank has 8.80 lakh kg of gold, know how much is in the country and how much reserve
भारतीय रिजर्व बैंक - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार पिछले 12 महीनों में सितंबर 2025 तक 25.45 मीट्रिक टन बढ़कर 880 मीट्रिक टन (करीब 9 लाख किलो) हो गया। केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व सितंबर 2024 के अंत में उसके भंडार 854.73 मीट्रिक टन से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के अंत में 880.18 मीट्रिक टन हो गया। इसमें 25.45 मीट्रिक टन की वृद्धि हुई। केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को जारी एक छमाही रिपोर्ट में यह बात कही है। 

केंद्रीय बैंक ने बताया कितना सोना देश में, कितना विदेश में?

आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन पर मंगलवार को जारी अप्रैल-सितंबर 2025 के लिए अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा, "सितंबर 2025 के अंत तक रिजर्व बैंक के पास 880.18 मीट्रिक टन सोना था। रिजर्व बैंक ने बताया है कि उसके सोने के भंडार का 575.82 मीट्रिक टन देश में है,  जबकि 290.37 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया है। केंद्रीय बैंक 13.99 मीट्रिक टन सोना जमा के रूप में रखा गया है।

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सोने का भंडार बढ़ा, पर पूरे विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली नरमी

देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मार्च 2025 के अंत तक 11.70 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2025 के अंत तक लगभग 13.92 प्रतिशत हो गया। हालांकि, इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2025 के अंत तक मामूली रूप से घटकर 700.09 बिलियन डॉलर रह गया। सितंबर 2024 के अंत तक यह 705.78 बिलियन डॉलर था। भंडार मार्च 2025 के अंत में 668.33 अरब डॉलर से बढ़कर सितंबर 2025 के अंत में 700.09 अरब डॉलर हो गया।

आरबीआई ने बताया- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में उतार-चढ़ाव का कारण

हालांकि डॉलर और यूरो दोनों का ही इस्तेमाल रुपये को स्थिर रखने के लिए किया जा सकता है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में शामिल होते हैं पर विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में ही व्यक्त किया जाता है। आरबीआई के अनुसार, "एफसीए में उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से आरबीआई की ओर से विदेशी मुद्रा की खरीद और बिक्री, विदेशी मुद्रा भंडार से होने वाली आय, केंद्र सरकार की बाह्य सहायता प्राप्तियां और परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन के कारण होने वाले परिवर्तनों के कारण होता है।"

कैसे होता है विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों का निवेश?

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में अलग-अलग देशों की मुद्रा परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। इन्हें मौजूदा मानदंडों के अनुसार अलग-अलग पोर्टफोलियो में रखा जाता है। यह इस संबंध में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के तहत हैं। सितंबर 2025 के अंत तक 579.18 अरब डालर के कुल एफसीए में से 489.54 बिलियन अमरीकी डालर प्रतिभूतियों में निवेश किया गया था, 46.11 बिलियन डालर अन्य केंद्रीय बैंकों और बीआईएस के पास जमा किया गया था और शेष 43.53 अरब डॉलर विदेशी वाणिज्यिक बैंकों के पास जमा थे। आरबीआई ने रिपोर्ट ने कहा, "पोर्टफोलियो में विविधता लाते हुए रिजर्व प्रबंधन में नई रणनीतियों और उत्पादों की खोज के लिए रिजर्व का एक छोटा सा हिस्सा बाहरी परिसंपत्ति प्रबंधकों की ओर से प्रबंधित किया जा रहा है। बाहरी परिसंपत्ति प्रबंधकों की ओर से किए गए निवेश आरबीआई अधिनियम 1934 के अनुसार दी गई मंजूरियों के तहत नियंत्रित होते हैं।"

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