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Report: सरकार का कर्ज घटने की उम्मीद, केयरएज रिपोर्ट में राज्यों की फ्रीबीज कल्चर पर जताई गई चिंता

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 10 Oct 2025 01:52 PM IST
सार

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में भारत का कुल सरकारी कर्ज वित्त वर्ष 2031 तक घटकर करीब 77 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2035 तक और कम होकर 71 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। हालांकि इसमें कहा गया कि फ्रीबीज नीतियों के कारण स्थायी रूप से ऊंचा बना राज्य कर्ज भविष्य में चिंता का विषय है।

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India's government debt is expected to decline, expressing concern over the freebie culture of states
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत का कुल सरकारी कर्ज आने वाले वर्षों में धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है। केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कर्ज वर्तमान में जीडीपी के लगभग 81 प्रतिशत पर है, जो वित्त वर्ष 2031 तक घटकर करीब 77 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2035 तक और कम होकर 71 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।



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मजबूत जीडीपी और वित्तीय नीतियों का मिला सहारा

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर जहां कई देशों का सरकारी कर्ज बढ़ रहा है, वहीं भारत राजकोषीय स्थिरता के मार्ग पर अग्रसर है। इसका श्रेय लगातार मजबूत जीडीपी वृद्धि दर और केंद्र सरकार की सतर्क वित्तीय नीतियों को दिया गया है।


इसमें आगे कहा गया है कि केंद्र के सतत आर्थिक विकास और जीडीपी की वृद्धि दर लगभग 6.5 प्रतिशत रहने से देश के मध्यम अवधि के ऋण समेकन को समर्थन मिलने की उम्मीद है। आर्थिक विस्तार और राजस्व सृजन पर निरंतर ध्यान देने के साथ-साथ बेहतर राजकोषीय अनुशासन को ऋण स्तर में अपेक्षित गिरावट के प्रमुख कारक के रूप में देखा जा रहा है।

फ्रीबीज नीतियों को लेकर दी गई चेतावनी

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी है कि भारत का कुल राज्य कर्ज अभी भी ऊंचे स्तर पर बना हुआ है, जो देश की समग्र वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसमें कहा गया है कि कुछ राज्यों द्वारा मुफ्त योजनाओं के वितरण से राज्य कर्ज में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति बनी हुई है। इसमें कहा गया कि फ्रीबीज नीतियों के कारण स्थायी रूप से ऊंचा बना राज्य कर्ज भविष्य में निगरानी योग्य चिंता का विषय है।

एपीएसी क्षेत्र को लेकर अनुमान

रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले वर्षों में सरकारी कर्ज का रुझान एक जैसा नहीं रहेगा, बल्कि यह विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, एपीएसी क्षेत्र में घटती महंगाई से केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीतियों के मोर्चे पर अधिक लचीलापन मिलेगा। इसमें कहा गया है कि महंगाई में कमी और ब्याज दरों में नरमी के साथ, अधिकांश एपीएसी देशों के पास आर्थिक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए मौद्रिक नीति का पर्याप्त दायरा होगा।

भारत को लेकर रिपोर्ट ने कहा कि सतर्क राजकोषीय नीति और स्थिर आर्थिक विकास देश के लिए कर्ज घटाने की दिशा में सकारात्मक परिदृश्य तैयार कर रहे हैं। हालांकि, इसमें यह भी जोड़ा गया कि राज्यों के वित्तीय रुझानों और ब्याज भुगतान दायित्वों की निगरानी जारी रखना भारत के लिए आवश्यक होगा ताकि दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

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