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G20 रिपोर्ट: 23 साल में भारत के शीर्ष एक फीसदी अमीरों की संपत्ति 62% बढ़ी, वैश्विक असमानता आपात स्तर पर पहुंची

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Tue, 04 Nov 2025 11:48 AM IST
सार

जी20 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति 2000 से 2023 के बीच 62 प्रतिशत तक बढ़ गई है। वहीं 2000 और 2024 के बीच वैश्विक स्तर पर शीर्ष एक प्रतिशत लोगों ने नई संपत्ति का 41 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि मानवता के निचले आधे हिस्से को केवल 1 प्रतिशत प्राप्त हुआ।

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India's top 1% wealthiest grew 62% in 23 years, global inequality reached emergency levels
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति 2000 से 2023 के बीच 62 प्रतिशत तक बढ़ गई है। जी20 की दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता के तहत तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्ज के नेतृत्व में तैयार इस अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक असमानता अब आपातकालीन स्तर पर पहुंच गई है। यह लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता और जलवायु कार्रवाई के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

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वैश्विक स्तर पर शीर्ष एक प्रतिशत लोगों ने 41 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया

वैश्विक असमानता पर स्वतंत्र विशेषज्ञों की जी-20 असाधारण समिति, जिसमें अर्थशास्त्री जयति घोष, विनी बयानीमा और इमरान वालोदिया शामिल हैं। उन्होंने पाया कि 2000 और 2024 के बीच वैश्विक स्तर पर शीर्ष एक प्रतिशत लोगों ने नई संपत्ति का 41 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि मानवता के निचले आधे हिस्से को केवल 1 प्रतिशत प्राप्त हुआ।

चीन और भारत में प्रति व्यक्ति आय में हुई वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटे तौर पर मापी गई अंतर-देशीय असमानता में कमी आई है, क्योंकि चीन और भारत जैसे कुछ अधिक जनसंख्या वाले देशों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है। इससे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में उच्च आय वाले देशों की हिस्सेदारी कुछ हद तक कम हुई है।

सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने देशों की संपत्ति बढ़ाई 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 से 2023 के बीच, सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने सभी देशों के आधे से अधिक देशों में अपनी संपत्ति का हिस्सा बढ़ाया है। यह वैश्विक संपत्ति का 74 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीर्ष 1% लोगों ने इस अवधि (2000-2023) में अपनी संपत्ति में 62% की वृद्धि की है। वहीं चीन में यह आंकड़ा 54% है।

असमानता को राजनीतिक इच्छाशक्ति से बदला जा सकता है

इसमें कहा गया है कि अत्यधिक असमानता एक विकल्प है। दुनिया में बढ़ती अमीरी-गरीबी की खाई इंसानों के फैसलों का नतीजा है, इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति से बदला जा सकता है। वैश्विक समन्वय से इसे काफी हद तक सुगम बनाया जा सकता है और इस संबंध में जी-20 की महत्वपूर्ण भूमिका है।

रिपोर्ट में वैश्विक रुझानों पर नजर रखने और नीति निर्माण में मार्गदर्शन के लिए जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की तर्ज पर एक अंतर्राष्ट्रीय असमानता पैनल (आईपीआई) के गठन का प्रस्ताव किया गया है। दक्षिण अफ्रीकी जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत शुरू किया जाने वाला यह निकाय सरकारों को असमानता और उसके कारणों पर आधिकारिक और सुलभ आंकड़े उपलब्ध कराएगा।

असमानता वाले देशों में लोकतांत्रिक पतन की संभावना सात गुना अधिक

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च असमानता वाले देशों में अधिक समानता वाले देशों की तुलना में लोकतांत्रिक पतन की संभावना सात गुना अधिक है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 से वैश्विक गरीबी में कमी लगभग रुक गई है और कुछ क्षेत्रों में उलट गई है। 2.3 अरब लोग मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जो वर्ष 2019 से 335 मिलियन अधिक है। दुनिया की आधी आबादी अभी भी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है और 1.3 अरब लोग अपनी जेब से स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के कारण गरीबी में जी रहे हैं।



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