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आरबीआई की समीक्षा: टाटा संस ने IPO से मांगी राहत, सितंबर से पहले शेयर बाजार में होना होगा सूचीबद्ध
अजीत सिंह
Published by: शुभम कुमार
Updated Sun, 17 Nov 2024 06:36 AM IST
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सार
आईपीओ नियमों से छूट पाने के लिए टाटा संस ने 20,000 करोड़ का कर्ज भी चुकाया है। आरबीआई ने 14 नवंबर को आरटीआई के जवाब में कहा, टाटा संस ने इस साल 28 मार्च को प्रमुख निवेश कंपनी (सीआईसी) पंजीकरण छोड़ने के लिए आवेदन दिया है।

आईपीओ में मिलने वाले शेयर पर सेबी का अध्ययन (प्रतीकात्मक)
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
टाटा संस ने आईपीओ लाने से आरबीआई से राहत मांगी है। इस आवेदन पर वह विचार कर रहा है। आरबीआई ने सूचना का अधिकार के तहत (आरटीआई) दिए गए जवाब में कहा कि टाटा संस ने स्वेच्छा से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटाया है। अगर इस आवेदन को आरबीआई स्वीकार कर लेता है तो टाटा संस को निर्गम लाने से छूट मिल जाएगी। अगर टाटा संस को छूट मिलती है तो इससे करोड़ों निवेशकों को इसमें भाग लेने से वंचित होना पड़ सकता है।
आरबीआई ने दिया आरटीआई का जवाब
आईपीओ नियमों से छूट पाने के लिए टाटा संस ने 20,000 करोड़ का कर्ज भी चुकाया है। आरबीआई ने 14 नवंबर को आरटीआई के जवाब में कहा, टाटा संस ने इस साल 28 मार्च को प्रमुख निवेश कंपनी (सीआईसी) पंजीकरण छोड़ने के लिए आवेदन दिया है। दरअसल, आरबीआई ने 2022 में स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर) के तहत 15 बड़ी कंपनियों को ऊपरी श्रेणी में रखा था। इन सभी को शेयर बाजार में सितंबर, 2025 से पहले सूचीबद्ध होना अनिवार्य था। इसमें से 11 कंपनियां सूचीबद्ध हो भी चुकी हैं।
कम से कम 8 महीने लगेंगे आईपीओ लाने में..
विशेषज्ञों का कहना है कि आईपीओ लाने के लिए कम से कम 6-8 महीने की जरूरत होती है। इस आधार पर अब टाटा संस के पास समय भी कम है। उसे अब मंजूरी मिलती भी है तो तैयारी करने में ही 8 महीने लग जाएंगे। एसबीआर ढांचा प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर सख्त गवर्नेंस और पारदर्शिता मानदंड लागू करता है।
राहत मिली तो बाकी भी कर सकती हैं अपील
विश्लेषकों का कहना है कि अगर टाटा संस को लिस्टिंग से छूट मिलती है तो ऊपरी श्रेणी वाली अन्य कंपनियां भी राहत मांग सकती हैं। टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन की भागीदारी ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। श्रीनिवासन आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल में भी कार्यरत हैं। यह दोहरी भूमिका सीधे-सीधे हितों के टकराव का मामला है।
55,000 करोड़ का हो सकता है इश्यू...
मर्चेंट बैंकरों का मानना है कि टाटा संस अब तक का सबसे बड़ा इश्यू ला सकता है जो 55,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। टाटा संस में दूसरे सबसे बड़े शेयरधारक शापुरजी पलोनजी है।

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आरबीआई ने दिया आरटीआई का जवाब
आईपीओ नियमों से छूट पाने के लिए टाटा संस ने 20,000 करोड़ का कर्ज भी चुकाया है। आरबीआई ने 14 नवंबर को आरटीआई के जवाब में कहा, टाटा संस ने इस साल 28 मार्च को प्रमुख निवेश कंपनी (सीआईसी) पंजीकरण छोड़ने के लिए आवेदन दिया है। दरअसल, आरबीआई ने 2022 में स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर) के तहत 15 बड़ी कंपनियों को ऊपरी श्रेणी में रखा था। इन सभी को शेयर बाजार में सितंबर, 2025 से पहले सूचीबद्ध होना अनिवार्य था। इसमें से 11 कंपनियां सूचीबद्ध हो भी चुकी हैं।
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कम से कम 8 महीने लगेंगे आईपीओ लाने में..
विशेषज्ञों का कहना है कि आईपीओ लाने के लिए कम से कम 6-8 महीने की जरूरत होती है। इस आधार पर अब टाटा संस के पास समय भी कम है। उसे अब मंजूरी मिलती भी है तो तैयारी करने में ही 8 महीने लग जाएंगे। एसबीआर ढांचा प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर सख्त गवर्नेंस और पारदर्शिता मानदंड लागू करता है।
राहत मिली तो बाकी भी कर सकती हैं अपील
विश्लेषकों का कहना है कि अगर टाटा संस को लिस्टिंग से छूट मिलती है तो ऊपरी श्रेणी वाली अन्य कंपनियां भी राहत मांग सकती हैं। टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन की भागीदारी ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। श्रीनिवासन आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल में भी कार्यरत हैं। यह दोहरी भूमिका सीधे-सीधे हितों के टकराव का मामला है।
55,000 करोड़ का हो सकता है इश्यू...
मर्चेंट बैंकरों का मानना है कि टाटा संस अब तक का सबसे बड़ा इश्यू ला सकता है जो 55,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। टाटा संस में दूसरे सबसे बड़े शेयरधारक शापुरजी पलोनजी है।