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India Gold Reserve: देश का गोल्ड रिजर्व पहली बार 100 अरब डॉलर पार, 25.5 टन सोने की खरीद

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Tue, 04 Nov 2025 07:08 AM IST
सार

भारत का गोल्ड रिजर्व पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। 25.5 टन सोने की खरीद हुई है। आरबीआई की रणनीति ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। विदेशी भंडार में सोने का हिस्सा अब 14.7 फीसदी है। पढ़िए ये रिपोर्ट

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Record India Gold Reserve first time beyond 100 billion usd RBI Strategy over 25 tonnes gold purchased
गोल्ड रिजर्व का नया रिकॉर्ड (सांकेतिक) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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भारत ने आर्थिक सुरक्षा रणनीति में नया अध्याय लिखते हुए स्वर्ण भंडार को पहली बार 100 अरब डॉलर के पार 105.53 अरब डॉलर पर पहुंचा दिया है। आरबीआई के अनुसार, हालिया खरीद के बाद इसका अनुमानित मूल्य 108.5 अरब डॉलर हो गया है। आरबीआई ने हाल में 25.45 टन सोना खरीदा, जिससे कुल भंडार बढ़कर 880.18 टन हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़कर 14.7 फीसदी पहुंच गया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, यह उपलब्धि न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की वित्तीय संप्रभुता और दीर्घकालिक स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी स्ट्रैटेजिस्ट पृथ्वी सिंह ने कहा, भारत का यह कदम डॉलर-निर्भर वैश्विक व्यवस्था में आत्मनिर्भर मुद्रा सुरक्षा तंत्र विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। बढ़ते जोखिम के बीच यह एक फाइनेंशियल शील्ड है।
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अल्पकालिक बचाव नहीं दीर्घकालिक सुरक्षा की नीति
डब्ल्यूजीसी के अनुसार, भारत कुछ वर्षों से वैश्विक केंद्रीय बैंकों के बीच अग्रणी स्वर्ण खरीदार रहा है। आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता देने, डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने पर भरोसा बढ़ाया है। यह रणनीति स्पष्ट संकेत है कि भारत की प्राथमिकता महज अल्पकालिक बाजार उतार-चढ़ाव से बचाव नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा और टिकाऊ मौद्रिक ढांचे का निर्माण है।

इसलिए बढ़ रहा पीली धातु का महत्व
वैश्विक वित्तीय व्यवस्था इस समय संक्रमण के दौर में है। रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका प्रतिस्पर्धा, पश्चिम एशिया संकट और बदलते ऊर्जा-व्यापार समीकरणों ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ाई है। ऐसे में सोना एक सार्वभौमिक सुरक्षित संपत्ति के रूप में फिर केंद्र में आया है। भारत की रणनीति अब पारंपरिक डॉलर-सेंट्रिक रिजर्व मॉडल के बजाय मल्टी एसेट रिजर्व फ्रेमवर्क की ओर बढ़ रही है।

  • आईआईएम बंगलूरू के प्रोफेसर नितिन वर्मा ने बताया, भारत वैश्विक अस्थिरता के दौर में बहु-परत वित्तीय सुरक्षा संरचना बना रहा है। नीति-स्तर पर इसे विदेशी झटकों से बचाव और मजबूत मुद्रा संप्रभुता की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है।
  • निवेशकों के लिए संकेत: आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि आम निवेशकों के लिए भी सोना दीर्घकालिक संपत्ति आवंटन में 5-10 फीसदी का स्थिर सुरक्षा कवच प्रदान कर सकता है।

इसलिए बढ़ रहे दाम
सोने में पिछले दो साल में लगभग लगातार तेजी देखी जा रही है। मुख्य वजह हैं...

  • सेंट्रल बैंकों की भारी खरीद।
  • जियो-पॉलिटिकल तनाव।
  • अमेरिकी महंगाई और ब्याज दर को लेकर जारी अनिश्चितता।
  • डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव।

डब्ल्यूजीसी का कहना है, कई उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी गोल्ड रिजर्व बढ़ा रही हैं। जब दुनिया अस्थिर होती है, तो देश अपना पैसा ऐसी चीज में रखते हैं, जिसकी कीमत हमेशा बनी रहे और वह है सोना।

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