DAMPEL: अनिल अंबानी की स्वामित्व वाली कंपनी और DMRC विवाद में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, शेयर 20% टूटे
DAMPEL: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डीएमआरसी को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को माना कि डीएमआरसी, दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 8000 करोड़ रुपये देने के लिए बाध्य नहीं है और डीएमआरसी की क्यूरेटिव याचिका मंजूर कर ली।
 
                            विस्तार
अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की मेट्रो इकाई दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में दिए गए ट्रिब्यूनल फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने की खबरों के बीच रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में बुधवार की सुबह 20 फीसदी का लोअर सर्किट लगा।
 
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डीएमआरसी को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को माना कि डीएमआरसी, दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 8000 करोड़ रुपये देने के लिए बाध्य नहीं है और डीएमआरसी की क्यूरेटिव याचिका मंजूर कर ली। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड, अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म की कंपनी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर सुनवाई की।
डीएएमईपीएल को डीएमआरसी की ओर से भुगतान की गई राशि वापस करने का आदेश
अदालत ने डीएमआरसी द्वारा भुगतान की गई सभी राशि वापस करने का आदेश दिया और कहा कि अदालत ने डिवीजन बेंच के आदेश में हस्तक्षेप करके निर्णय की त्रुटि की, जिससे न्याय का गंभीर हनन हुआ। न्यायालय ने डीएमआरसी की उस सुधारात्मक याचिका को भी स्वीकार कर लिया जिसमें रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) को 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने के निर्देश देने के पूर्व के पंचाट फैसले को चुनौती दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय के आदेश से कंपनी पर कोई देनदारी नहीं बनती: रिलायंस इन्फ्रा
इस बीच, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से कंपनी पर कोई देनदारी नहीं बनती और कंपनी को मध्यस्थ फैसले के तहत डीएमआरसी/डीएएमईपीएल से कोई राशि नहीं मिली है। डीएमआरसी ने एक बयान में कहा, ''हम आपको सूचित करते हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के खिलाफ दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) की सुधारात्मक याचिका को स्वीकार कर लिया है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने शेयर बाजारों को भेजे एक संदेश में कहा, 'रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर स्पष्ट करना चाहता है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित 10 अप्रैल, 2024 का आदेश कंपनी पर कोई दायित्व नहीं डालता है और कंपनी को मध्यस्थ निर्णय के तहत डीएमआरसी/डीएएमईपीएल से कोई पैसा नहीं मिला है।
अदालत के फैसले की खबर के बाद कंपनी के शेयरों में 20% का लोअर सर्किट लगा
बीएसई पर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का शेयर 284.20 रुपये की पिछली क्लोजिंग के मुकाबले 20% गिरकर 227.40 रुपये पर आ गया। कंपनी का मार्केट कैप घटकर 9,008 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी के कुल 7.46 लाख शेयरों का लेनदेन हुआ और बीएसई पर कंपनी ने 18.34 करोड़ रुपये का कारोबार किया। 2017 में दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस ने दिल्ली मेट्रो रेल के खिलाफ मध्यस्थता वाद जीता था। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो ने कहा था कि एयरपोर्ट लाइन पर ट्रेन चलाना दिल्ली मेट्रो रेल द्वारा बनाए गए वायडक्ट में संरचनात्मक दोषों के कारण व्यवहार्य नहीं था।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                सितंबर 2021 में शीर्ष अदालत ने मध्यस्थ पुरस्कार को बरकरार रखा था। नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिल्ली मेट्रो द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। अगस्त 2022 में दिल्ली मेट्रो ने ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की।



