MSME For Bharat: हर चुनौती में अपार अवसर, यही है एमएसएमई क्षेत्र के लिए सही समय
रॉयल एनफील्ड, लैक्मे और टाटा मोटर्स कमर्शियल व्हीकल्स जैसे भारतीय ब्रांडों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। प्रो कबड्डी लीग के जनक। फोर्ब्स की 2025 की सूची में 50 सबसे प्रभावशाली सीएमओ में। एफिल लायंस फाउंडेशन बोर्ड में एशिया-प्रशांत का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।

विस्तार
हर चुनौती के भीतर एक अवसर छुपा होता है। भारत की आर्थिक यात्रा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आज यह सच हमारे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए और भी प्रासंगिक हो गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था जब अनिश्चितताओं से जूझ रही है और आपूर्ति शृंखलाएं लगातार बदल रही हैं, तब भारत एक विशेष स्थान पर खड़ा है। भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है। यह विकास सिर्फ बड़ी कंपनियों या बहुराष्ट्रीय संस्थानों का नहीं है, बल्कि उन करोड़ों उद्यमियों, कारीगरों, निर्माताओं और नवाचारकर्ताओं का है, जो एमएसएमई क्षेत्र की रीढ़ हैं।

एमएसएमई फॉर भारत पोर्टल दूरदर्शी पहल, छोटे उद्यमों को देगी मजबूती
अमर उजाला की ओर से शुरू किया गया ‘एमएसएमई फॉर भारत’ पोर्टल समयोजित और दूरदर्शी पहल है। यह हमें याद दिलाता है कि भारत की प्रतिस्पर्धात्मक ताकत सिर्फ बड़े बोर्ड रूम में तय नहीं होगी, बल्कि कस्बों, शहरों व डिजिटल मंचों पर कार्यरत छोटे उद्यमों के दम पर बनेगी।
- अमर उजाला अपने आप में एक संस्था है। यह राष्ट्रहित की एक शक्ति है। इसकी जड़ें गहराई तक राष्ट्रवाद में समाई हुई हैं।
- अगर सही दिशा और संसाधन मिले, तो एमएसएमई स्वदेशी की उस नई धारा का नेतृत्व कर सकते हैं, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और गर्व से भारतीय होगी।
30 करोड़ लोगों को रोजगार का लक्ष्य सपना नहीं
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत और तेज रफ्तार से बढ़ रही है। सरकार विनिर्माण से लेकर हर क्षेत्र पर ध्यान दे रही है। निवेश भी बढ़ रहा है। ऐसे में 2028 तक 30 करोड़ लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य कोई दूर का सपना नहीं है, बल्कि आवश्यक संकल्प है। सोचिए, आज एमएसएमई पहले से ही 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं और हमारी अर्थव्यवस्था में करीब एक-तिहाई का महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
- अगर इन्हें सही प्रशिक्षण, डिजिटल उपकरण और बाजार तक पहुंच मिले, तो यह क्षेत्र जीविका का साधन भर नहीं रहेगा, बल्कि रणनीतिक शक्ति में बदल जाएगा।
- एमएसएमई फॉर भारत इसी दिशा में सहारा प्रदान करता है और उद्यमियों को वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और असि्थरता के लिए तैयार करने वाला मंच है।
सिर्फ उपभोक्ताओं ही नहीं, उद्यमों की विश्वसनीयता से बनते हैं ब्रांड
एक विपणन रणनीतिकार के नजरिये यह भी स्पष्ट है कि ब्रांड सिर्फ उपभोक्ताओं से नहीं बनते, बल्कि उद्यमों की विश्वसनीयता से बनते हैं। यह जापान, कोरिया और जर्मनी के उद्योग के विकास के लिए भी सत्य है। जब-जब कोई एमएसएमई जिम्मेदारी से बढ़ता है, तब-तब भारत की वैश्विक छवि और ब्रांड वैल्यू मजबूत होती है।
- स्वदेशी का अर्थ सिर्फ भावना नहीं होना चाहिए, बल्कि गुणवत्ता, नवाचार और स्थायित्व होना चाहिए।
वैश्विक फलक तक पहुंचाएगी पहल
भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने छोटे उद्यमों को कितना बड़ा सपना देखने की ताकत देते हैं। एमएसएमई फॉर भारत इसी राह का पहला पुल है, जो चुनौती से अवसर तक, स्थानीय से वैश्विक प्रासंगिकता तक हमे पहुंचाएगा।