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Crisil Report: भारतीय उत्पादों पर अमेरिका की भारी टैरिफ से बढ़ सकती है चुनौती, क्रिसिल की रिपोर्ट में दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Sat, 27 Sep 2025 03:16 PM IST
सार

क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए उच्च टैरिफ से भारतीय वस्तुओं के निर्यात और निवेश दोनों पर असर पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में घटकर 3.5 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।

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US heavy tariffs on Indian products could increase the challenge, claims Crisil report
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अमेरिका की ओर से लगाया गया उच्च टैरिफ भारत के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टैरिफ से भारतीय वस्तुओं के निर्यात और निवेश दोनों पर असर पड़ेगा। हालांकि, नरम मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में कटौती से प्रेरित घरेलू खपत से विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।



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देश की जीडीपी पांच तिमाहियों को उच्च स्तर पर पहुंची

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जीडीपी वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में पांच तिमाहियों के उच्चतम स्तर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 7.4 प्रतिशत थी। हालांकि, इसी अवधि में नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर 10.8 प्रतिशत से घटकर 8.8 प्रतिशत हो गई।

सीपीआई में गिरावट की संभावना

इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में घटकर 3.5 प्रतिशत रह जाने की संभावना है, जो पिछले वर्ष 4.6 प्रतिशत थी। स्वस्थ कृषि विकास से खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है। हालांकि अत्यधिक वर्षा के प्रभाव का अभी पूरी तरह से आकलन किया जाना बाकी है।

रिजर्व बैंक कर सकता है ब्याज दरों में कटौती

रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कम कीमतों और वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में नरमी से गैर-खाद्य मुद्रास्फीति पर  रोक लगने की उम्मीद है। मौद्रिक नीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस वित्त वर्ष में एक बार और ब्याज दर में कटौती कर सकता है, जिसके बाद कुछ समय के लिए रोक लग सकती है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी और जून 2025 के बीच रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की थी और अब वह पिछली कटौतियों के पूर्ण प्रसारण की प्रतीक्षा कर रही है।



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